गीतिका/ग़ज़ल

तुम तक पहुँचने के लिए

तुम तक पहुँचने  के लिए मैंने पूरा रास्ता तय कर लिया है

मैंने तुम्हारी पाक रूह में अपनी  रूह को विलय कर लिया है

देह तो आवरण है ,मन का   खुद पर रहता नहीं नियंत्रण  है

तुम्हारे वजूद से मेरे वजूद ने गहन परिचय कर लिया  है

पत्थर की मूर्तियों में न जाने क्यों हम ढ़ुढ़ते रहते हैं भगवान

मैंने तुम्हारी इबादत करने का आज से निश्चय कर लिया है

यह ज़रूरी नहीं है की प्रतिउत्तर में चाहने का रोज दो तुम प्रमाण

तुम्हें मन में  पर निरंतर याद रखने का मैंने निर्णय कर लिया हैं

हम दोनों की आँखों में एक दूसरे की अमिट परछाई रहती है

आपस में धड़कनों का हमारे दिलों ने विनिमय कर लिया है

किशोर कुमार खोरेन्द्र

 

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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