कविता

मासूम दुधमुहाँ बचपन

मासूम दुधमुहाँ बचपन

क्रेच और डे केयर की भेंट चढ़ा

मासूम गुमसुम बचपन

जिन नन्हे फूलों को खिलना पनपना

चाहिए माँ के आँचल , घर की छाया में

वह आज 8 से 8 भागती बेलगाम ज़िन्दगी

का भोग रहे खामिज़ा हैं

और तलाश रहा बचपन में ही अपना बचपन

खुद ही गिरते खुद ही संभलते

खुद रोते खुद ही चुप हो जाते

क्यूंकि कौन आकर हाथ थाम

आंसू पोंछ गले से लगा ले

इधर तो खुद से ही खुद को

संभालना, सहलाना, दुलारना है

इन मासूमों ने अपना नन्हा सा आशियाना

बना रखा है इसे जहाँ बस एक

अनकहा,  अनदेखा  खालीपन सा

जिसे नन्हे कोशिश करते

कभी हंस कर कभी रो कर

कभी खेल कर कभी आपस में लड़ कर

फिर थक हार सो जाते यहीं

बेबस मासूम गेरों में ढूँढ़ते अपनों की छवि

जो हर मुमकिन कोशिश कर भी मिल नहीं पाती

जब देर साँझ ढले आते माँ और पिता लेने

होती एक अजीब सी कशमश

कौन सा है घर अपना

जहाँ हम सिर्फ सोते हैं

या जहाँ हम पूरा दिन बिताते हैं

वजह चाहे जो भी हम कहीं न कहीं खुद ही

गुनहगार हैं इन मासूमों के खोते बचपन के

जिन के सुख के लिए भाग रहे घर के दोनों जीव

क्या दे पा रहे  हैं वो सुख इन को

कर के गेरों के हवाले

माँ से बढ़ कर कोई विकल्प नहीं होता

फिर चाहे  वो डे- केयर हो या फुल टाइम मैड

देख इन मासूमों की सूनी ऑंखें भर भर आता

है दिल …….काश कोई समझ सके इन की खामोश सदा ||

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |

2 thoughts on “मासूम दुधमुहाँ बचपन

  • मीनाक्षी सुकुमारन

    तहे दिल से बेहद शुक्रिया विजय जी

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

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