कविता

स्मरण तुम्हारा मुझे लगता है मधुर

स्मरण तुम्हारा मुझे लगता है मधुर 

मेरे मनरूपी वृत्त का 

केंद्र बिंदु हो तुम 

तुम महा सागर हो तो मैं हूँ सूक्षम बूंद 

लहरों पर हो आरूढ़ 

मेरी यात्रा रहे सदा तुम्हारी ओर  उन्मुख 

कभी न जाऊं  गन्तव्य मार्ग से चूक 

प्रेम का ,सौन्दर्य का ..

तुम ही हो स्रोत -मूल 

तुम्हारे प्रति –

मेरे ह्रदय में रहे हमेशा 

सौहाद्र -भाव ..विपुल 

हालांकि तुममे है –

अनुशासित गरिमा अदभूत 

तुम्हारी आँखों के दर्पण में 

अपनी कल्पनाओं को 

अपने सपनों को 

साकार निहारा करता हूँ ..

अपने मन अनुकूल 

मेरे लिए तुम ..

स्नेह की अदृश्य धुरी हो 

जिस पर मैं जाया करता हूँ 

प्रतिपल  घूम 

तुम शाश्वत का पुष्प हो 

तो जिसे चिर यौवन उपलब्ध हो 

ऐसा हूँ मैं एक बासंतिक मधुप 

स्मरण तुम्हारा लगता है मुझे मधुर 

किशोर कुमार खोरेन्द्र 

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.