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रामायण – वास्तविकता क्या है?

रामकथा प्रथम बार बाल्मीकि रामायण में आई है , जिसमें राम को साधारण मनुष्य दिखाया गया है बिना किसी अलौकिक चमत्कारो या ईश्वरीय गुणों के । आदि कवि वाल्मीकि द्वारा रचित राम कथा के साधारण कथा थी जिसका अंत दुखद होता है ।
कहा यह गया है की रावण जो आधार है राम कथा का वह लंका का निवासी होता है , राम अपने समर्थको के साथ लंका पर चढ़ाई करते हैं और समुन्दर को पाट के पुल निर्माण करते हैं ।
बड़ौदा प्राच्य विद्या संस्थान ने 1020 ईसा की वाल्मीकि रामायण की एक पाण्डुलिपि नेपाल से प्राप्त की है उसमें चित्रकूट से 12 मील दक्षिण में गोदावरी नदी बताई गई है । रामायण में वर्णित दंडकारण्य वन, पम्पा ,किष्किंधा,पंचवटी वस्तर् व् उड़ीसा( वर्तमान झारखण्ड) के क्षेत्र में थे । रामायण में समुन्दर पाटने के लिए जिन पेड़ो का उपयोग में लाया गया बताया है वे भी इस वैन में मध्यप्रदेश के जबलपुर व् अमरकंटक पर्वत के आसपास मिलते हैं रामेश्वरम के आस पास नहीं । वैसे भी श्रीलंका और रामेश्वरम के मध्य समुन्दर की चौड़ाई लगभग 50किलोमीटर जिसे उस काल में पेड़ो और पत्थरो से पाटना असंभव था ।

इससे इस विचार पर बल मिलता है की रावण एक आदिवासी गोंड कबीले का पूर्वज था ,गोंडी भाषा में लंका ऊँची जगह को कहते हैं । डॉक्टर बी.यस पटवर्धन , डॉक्टर संकालिया,डॉक्टर रामदास आदि प्रसिद्ध पुरात्तव वैज्ञानिको ने महानदी के तट पर सोनपुर के पास पुराने खंडरो की खुदाई करवाई । उसमें जले हुए अवशेष मिले हैं जो लंका दहन की तथा रावण के मध्य भारत का राजा होने की पुष्टि करता है ।

शूपर्णखा ( स्वरूपमणि) ने भी अपने भाईयो खर और दूषण को राम के दंडकारण्य वन में रहने की जानकारी दी थी। डॉक्टर मनखड़ द्वारा सम्पादित किष्किन्धा कांड के अनुसार राम ने लंका पर पौष अमावस्य को विजय प्राप्त की थी न की कार्तिक अमावस्य को । वैसे भी लंका पर आक्रमण करने से पूर्व शूपर्णखा द्वारा दंडकारण्य वन में राम और लक्ष्मण से मुलाकात होना भी इस बात का प्रमाणित करता है की रावण श्रीलंका का राजा नहीं अपितु झारखण्ड क्षेत्र का आदिवासी राजा था ।

दसवी सदी में चोल राजाओ के राज्यकाल में रामानुज ने शंकरचार्य की प्रस्थानत्राइ के आधार पर श्री भाष्य लिखा ,उसमें राम को विष्णु अवतार बना दिया लेकिन उस समय तक राम का कोई मंदिर नहीं बना था ।

अब यंहा होमर कवि के इलियड और रामायण में समानता देखिये-

इलियड- इलियड के प्रमुख पात्र मेनेलिस और अमेनन दो भाई हैं जिसमें बहुत प्रेम है
रामायण- राम और लक्ष्मण दोनों भाइयो में बहुत प्रेम है

इलियड-मेनेलिस हैलन को स्वयंबर में जीत के अपनी पत्नी बनाता है
रामायण- राम सीता को स्वयंबर में जीत के अपनी पत्नी बनाते हैं

इलियड- मेनेलिस और अमेनान को उसका पिता राज्य से निकाल देता है
रामायण- राम और लक्ष्मण को भी राज्य से निकाल के वनवास दे दिया जाता है

इलियड- ट्राय के राजा का पुत्र हैरिस मेनेलिस की अनुपस्थिति में हैलन को चुरा के समुन्दर पार ले जाता है ।
रामायण- रावण भी सीता को चुरा के समुन्दर पार ले जाता है ।

इलियड- स्पार्टा के बादसाह मेनेलिस ने ग्रीक राजकुमार की सेना लेके ट्राय पर चढ़ाई की
रामायण- राम ने भी सुग्रीव हनुमान आदि की सहायता लेके लंका पर चढ़ाई की

इलियड- एकमस की गर्जना ट्राय की सेना में आतंक पैदा कर देती है।
रामायण- हनुमान की गर्जना लंका में आतंक पैदा कर देती है।

इलियड- ट्राय का योद्धा मार्स प्लास द्वारा मारे जाने पर गिरा तो सात एकड़ भूमि घिर गई।
रामायण- कुम्भकरण के मारे जाने पर बहुत बड़ी भूमि घिर जाती है

इलियड- पेरिस के भाई एन्टेनर ने पेरिस को समझाया की हेलन को लौटा दे । जब उसकी बात नहीं मानी तो वह मेनेलिस से मिल गया।
रामायण- विभीषण का राम के साथ मिलना होता है।

इलियड- पेरिस के मरने के बाद एन्टेनर को ट्राय का राजा बनाया गया।
रामायण- रावण के मरने के बाद विभीषण को लंका का राजा बनाया गया।

मित्रो,आपको इलियड और रामायण की समानता इसलिए बतया है मैंने क्यों की आप स्वयं देखें की किस तरह मूल कहानी से फेर बदल कर दी गई है और इसे यूनानी कहानी पर आधारित बना दिया गया है , वाल्मीकि रामायण में ही बुद्ध को चोर कहा गया है जो की बौद्धों के प्रति द्वेष को प्रकट करता है।
सनद रहे की दसवी सदी में लिखे गए ‘ हरिवंश पुराण’ में केवल छः अवतारो की ही चर्चा है जिसमें राम का नाम नहीं है।
भारत में यूनानियो का राज्य ईसा पूर्व छठी शताब्दी से 305ईसा पूर्व तक रहा है।

– केशव

संजय कुमार (केशव)

नास्तिक .... क्या यह परिचय काफी नहीं है?

3 thoughts on “रामायण – वास्तविकता क्या है?

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    ज़िआदा इस बारे में मेरी इतनी जानकारी तो नहीं है लेकिन एक बात जरुर कहूँगा कि पुरातन ग्रंथों में श्रधा के रंग में रंगे हुए लेखक बहुत कुछ ऐसी बातें ऐड कर देते थे कि आज के ज़माने में पाठक दुभिदा में पड़ जाता है , इस की उदाहरण मैं यह ही दे सकता हूँ कि सिखों के पहले गुरु नानक देव जी १४६९ में पैदा हुए थे, यानी ५४५ वर्ष ही हुए हैं . अगर हम भाई बाले वाली साखी जिस में गुरु जी के मुतालुक बचपन से लेकर आखिर समय तक कहानिआन लिखी गई हैं तो बहुत सी ऐसी कहानिआन ऐसी हैं जिन से किसी को विशवास नहीं हो सकेगा . इसी लिए इतने पुरातन ग्रंथों में कम्प्लिकेशन ना हो ऐसा हो नहीं सकता , इस का मतलब यह भी नहीं कि यह सभ झूठ है . यह काल्पनिक कहानी नहीं हो सकती , सिर्फ श्रधा में बड़ा चड़ा कर जरुर लिखा होगा.

    • विजय कुमार सिंघल

      बिल्कुल सही कहा, भाई साहब. लोग बहुत सी काल्पनिक बातें अपने मन से जोड़ देते हैं.

  • विजय कुमार सिंघल

    यदि आप राम को काल्पनिक सिद्ध करना चाहते हैं, तो उसमें बुरी तरह असफल रहे हैं. वाल्मीकि रामायण में राम को केवल मानव के रूप में दिखाया गया है, यह सत्य है. वे थे भी ऐसे ही. लेकिन उसमें बहुत मिलावट है. शम्बूक जैसी कहानियाँ धूर्तों द्वारा बाद में डाली गयी हैं तथा राम के चरित्र को कई कवियों द्वारा अलौकिक बना दिया गया है, जिससे भ्रम पैदा होता है.

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