कविता

मधु यामिनी

 

छिटकी है चांदनी 
अम्बर में 
सितारों के नूर से भरी 
बह रही है 
एक और मंदाकनी 

बादलों की ओट से 
पूनम का चाँद भी 
हमें झाँक रहा है
तुम्हारे और मेरे
मिलन की है
यह मधु यामिनी

शरमा कर तुम्हारे रुखसार
हो गए हैं शर्बती
नजदीक आने से डर रही हो
तृषित अधरों पर है कपकपी
छेड़ रही है दूर कहीं
सागर की लहरे मधुर रागिनी

आओ बंधन सारे खोल दूँ
सुर्ख परहन तुम्हारे हैं रेशमी
तुम्हारी काया खुद कंचन है
मुझे पसंद हैं यह  सादगी

छिटकी है चांदनी
अम्बर में
सितारों के नूर से भरी
बह रही है
एक और मंदाकनी

किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.