गीतिका/ग़ज़ल

हुस्न और इश्क़

हुस्न और इश्क़ की जोड़ी सदा सलामत रहे
दोनों एक दूसरे की करते सदा इबादत रहे

ये जिस्म तो सिर्फ रूह का खूबसूरत लिबास है
हम दोनों के मन का पाक रिश्ता ता क़यामत रहे

बहुत पास आकर भी मलिन हुआ नहीं हमारा मन
दोनों के बीच कभी न कोई शिकवा न शिकायत रहे

प्रेम की पराकाष्ठा को हमारे द्वारा छू लिया जाए
हृदय की पवित्र भावनाओं में ऐसी ऊँची चाहत रहे

मैं केवल तुम्हारे बाह्य सौंदर्य का उपासक नहीं हूँ
तेरे हर रूप के प्रति मेरे जोशे जुनूँ में शबाहत रहे

किशोर कुमार खोरेन्द्र

(शबाहत -एक रूपता)

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

One thought on “हुस्न और इश्क़

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी ग़ज़ल !

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