प्रकृति
ऊँचे-ऊँचे पहाड़
कल-कल बहती नदियाँ।
हरे-भरे पेड़
चीं-चीं करती चिड़ियाँ।
रंग-बिरंगे फूल
रस लेती तितलियाँ
चींटी मेहनत करना सिखाती
कोयल मीठे बोल सिखाती।
मधुमक्खी मीठा शहद बनाती
नदी सबको सींचना सिखती।
मोर सबको नाचना सिखाते
सूरज सबको चमकना सिखाता।
काले बादल जल बरसाते
सब जीवों की प्यास बुझाते।
छोटे-बड़े वृक्ष फल देते
सब जीवों की भूख मिटाते।
प्रकृति हम सबकी माँ है
क्यों नहीं हम इसे बचाते?
बहुत खूब !
पर्यावरण दिवस का एक उपहार , कविता अच्छी लगी .