सामाजिक

लेख

उन्हें चाहिए सम्मान..
अपनी तन्हाई का आलम वो कैसे हमें बताएं ,
कि वक्त की दुहाई दे जब हम खुद को रहे व़्यस्त बताते |
क्यों रह जाते हैं इक दिन वो अपने ही घर मे मेहमान बनकर |
तिनका तिनका  सजाया हो जिस घर का अपना जानकर ||

आधुनिक जीवनशैली हमें जितनी दूर से लुभाती है ,उतनी ही खोखली और तन्हाईयों से भरी है | माना कि वक्त बहुत तेजी के साथ बदल रहा है और जो समय के साथ नहीं चलते उन्हें कुछ हद तक निराशा का सामना भी करना पड़ता है | मगर इसका यह मतलब नहीं कि हम अपनी सभ्यता ,संस्कृति या इन्सानियत को ही भूलते जाएं |आज़ादी के नाम पर हम अकेले रहना पसन्द करते हैं | घर के बड़ों का छोटी -छोटी बात पर टोकना या दखल देना हम पसन्द नहीं करते और जाने अनजाने हम उनको दरकिनार करते जाते हैं |उनसे अच्छा व्यवहार तो दूर की बात अच्छे से बात करना भी हम समय की बर्बादी समझते हैं |जाने हम यह क्यूं भूल जाते हैं कि वो ही घर की नींव हैं ,एक छायादार वृक्ष हैं जो फल दे या ना दे मगर छाया ज़रूर देता है वह हमारा भला ही सोचते हैं |छोटी -छोटी बातों को यदि अनदेखा किया जाए और उनके साथ थोड़ा समय बिताया जाए या उनसे प्यार से बात की जाए वो इसी मे खुश हो जाते हैं |घर मे बड़ों को सम्मान और अहमियत देने से उनके दिल से आशिर्वाद और दुआ ही निकलती है और भग्वान भी ऐसे घर मे अपनी कृपादृष्टि सदैव बनाए रखते हैं |आज हम अगर उनका सम्मान करेंगे उन्हें घर मे अहमियत देंगे तो हम अपने बच्चों को भी अच्छे संस्कार दे सकते हैं | आधुनिकता की हौड़ मे कहीं हम अपनी पहचान ना खो दें इसलिए ज़रूरी है कि हम संयम और समझदारी से घर का माहौल शान्तिमय बनाए रखें |घर के बड़ों का भी उतना ही ध्यान रखें जितना हम अपने बच्चों का रखते हैं तो शायद घर का माहौल कुछ और हो जाए |||
कामनी गुप्ता जम्मू ***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

2 thoughts on “लेख

  • डॉ ज्योत्स्ना शर्मा

    सच्ची और अच्छी प्रस्तुति !

    • कामनी गुप्ता

      धन्यवाद जी..

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