कुण्डली/छंद

करारी कुण्डलियाँ

हास्य व्यंग का हर कवि पहलवान श्रीमान ।
शब्दों का मुगदर बना द्वंद्व करे बलवान ।
द्वंद्व करे बलवान कि कस के काव्य लंगोटी ।
कर देता अच्छे अच्छों की बोटी बोटी ।
कह पुनीत कवि मारे ये कविता में ऐसी लात ।
हास्यकवि का व्यंग पटकनी देवे धोबी पाट ।

कुटिल क्रूर तानाशाहों से  लेते  लोहा ।
धूल चटा दे एक जो पड़े  दोहत्था दोहा ।
मारे यों कटाक्ष के कद्दावर कवित्त ।
नेता अफ़सर धूर्तमूर्त, हों चारों खाने चित ।
कह पुनीत कविराय व्यंग की वक्र ये दृष्टि ।
धरा लिटा दे दुष्ट भ्रष्ट को वज्र ये मुष्टि ।

रेस कोर्स की रेस में अव्वल आने की हाय ।
खच्चर टट्टू और गधों को घोड़ा देय बनाय ।
घोड़ा देय बनाय मुल्लायम हो या लल्लू ।
या पप्पू सा निरा काठ का बस हो उल्लू ।
तो कह पुनीत कवि कजरू हो जयललिता ममता ।
आकांक्षा का अश्व न कोउ थामे थमता ।

पुनीत ‘नई देहलवी’

पुनीत नई देहलवी

परिचय: पुनीत गुप्ता पेशे से एक विज्ञापन फ़िल्म निर्माता और छायाचित्रकार हैं। बचपन से ही पुस्तकों से रूचि रही। अबतक कई कहानियां विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। चार विज्ञान-कथा उपन्यास प्रकाशित हैं। एक हास्यकविता संकलन अयन प्रकाशन द्वारा प्रकाशनाधीन है। कई बार देश के सर्वोच्च हास्य कवियों के साथ मंच पर काव्यपाठ करने का मौक़ा मिला है। विश्व प्रसिद्ध कॉमिक टिनटिन सीरीज का हिंदी अनुवाद करने का गौरव भी प्राप्त है।

One thought on “करारी कुण्डलियाँ

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

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