कविता

कविता

मन के घोड़े पर जब तक
जानने की इच्छा
सवार नहीं होगी
भटकन यूँ ही रहेगी
सदियां गुजर जाने से
कोई वक्त नहीं गुजर जाता ?
उम्र की एक एक
सीढी चढने या
झड़ने का
अर्थ तो
समझना
ही पडेगा …..!!!

,,,,,रितु शर्मा

रितु शर्मा

नाम _रितु शर्मा सम्प्रति _शिक्षिका पता _हरिद्वार मन के भावो को उकेरना अच्छा लगता हैं

One thought on “कविता

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

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