मुक्तक/दोहा

दो मुक्तक (युवाओं के लिए)

परिष्कृत कर लो अपने पुराने शब्दकोष को

कोष से बाहर करो सब नकारात्मक शब्दों को

“असमर्थ,अयोग्य हूँ” का सोच है प्रगति के बाधक

जड़ न जमने दो मन में कभी, इन विचारों को |

XXXXXX

हर इंसान में “डर” है दो धारी तलवार

यही उत्पन्न करता है नकारात्मक विचार

कभी-कभी इंसान को रोकता है भटकन से,किन्तु

इंसान के प्रगतिशील कदम को रोकता है हरबार |

 

कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !

One thought on “दो मुक्तक (युवाओं के लिए)

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर !

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