कविता

जज़्बात

कैसे बताऊ जज्बात

प्यार की मीठी बात
ख्वाबो में मुलाक़ात
हर पल सिर्फ याद
बेकली बेकरारी बढ़ा कर
बन गए हो दिल के महताब ।
थाम के हाथ मेरा
जब तुम चले थे
राह के कांटे भी
फूलो जस मिले थे
जिंदगी नाम कर दी तुम्हारे
तेरी ही आहटे है आस पास ।
छूट भी जाए जहाँ सारा
मुझसे बिछड़े कभी ना
मेरी आँखों का तारा
तुम्हारे नाम से चलती है मेरी साँस
साथ दोगे सदा है अटूट विश्वास ।

— सुनीता रातवानी

One thought on “जज़्बात

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    वाह वाह ,बहुत खूब .

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