विश्वास ढूढता है…..
खुदगर्ज सी दुनियां मे, विश्वास ढूढता है
समझाकर हार गया ,नादांन मेरे दिल को इस झूठ की दुनियां में, क्यूं खास ढूढता हैं
खुदगर्ज सी दुनियां मे, विश्वास ढूढता है…
पत्थर दिल दुनियां के, पत्थर दिल लोगों में
पागल ये दिल मेरा, अहसास ढूंढता है….
खुदगर्ज सी दुनियां मे, विश्वास ढूढता है….
लालच की आंधी में ,स्वारथ के तूंफा में
इर्ष्या के आगन में रंग रास ढूढता है….
खुदगर्ज सी दुनियां मे, विश्वास ढूढता है….
दौलत की भूखी है, शोहरत की प्यासी है
छल कपट की दुनियां में,श्रीवास ढूढता है..
खुदगर्ज सी दुनियां मे, विश्वास ढूढता है….
घनघोर अंधेरों में, इन पाप के घेरों में
पाखंड के डेरों मे,कुछ आस ढूंढता है….
खुदगर्ज सी दुनियां मे, विश्वास ढूढता है….
सतीश बंसल