कवितापद्य साहित्य

वो डायरी

वो डायरी…
आज खोज रही मै
उस पुरानी डायरी को
जिस डायरी मे संजोयी थी
अपनी पुरानी यादें
मन व्याकुल पढने को थी
उन सारी बातो को
जिसे सुनहरे अछरो मे
मै लिख दी थी.
ओह आज मिल गया
मेरी पुरानी डायरी
जिसे वर्षो से ढुढ रही
छान मारी सारी अलमारी
वाह क्या खुब लिखा हुआ
है इस डायरी मे
अब कहॉ वो जमाना
कहॉ प्यार. कहॉ मोहब्बत
रहा इस जहॉ मे
जो पहले रहा करता था।
…निवेदिता चतुर्वेदी…

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

One thought on “वो डायरी

  • महातम मिश्र

    बिलकुल सत्य, कहाँ हैं पुरानी धरोहर जिसे हम अपने बचपने के साथ छोड़ आये, काश वह समय वह भाव एक बार फिर दिख जाता, बहुत बढ़िया, माननीया निवेदिता चतुर्वेदी जी……

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