हाइकु-दोहे
(1) प्यासी धरती/ खग दुखित रोते/ बढ़ती भूख। मिटते प्राणी/ है चकित नाहर/ घटा रसूख॥ (2) गिरे सितारे/ घट गई
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Read Moreसंघ कार्य मैं चाहे देश के किसी भी भाग में रहूँ, संघ के कार्यकर्ताओं के सम्पर्क में सबसे पहले आ
Read Moreभाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी ही गणेश चतुर्थी कहलाती है। बुद्धि और सिद्धि के दाता श्री गणेशजी महाराज पधारो। श्री गणेशजी विघ्न
Read Moreछोटेलाल अपने गाॅव में गरीबों में गिने जाने वाले एक सीधे इंसान थे।उनकी पत्नी मुन्नी देवी तथा एक सात साल
Read Moreओ३म् महर्षि दयानन्द ने पहले पूना प्रवचन और बाद में थ्योसोफिकल सोसायटी के लिए अपना संक्षिप्त आत्मकथन लिखते हुए, इन
Read Moreप्रेम पर लिखना आसान नहीं मन को कुरेदना होताहै वही लिखना है जो सोचते हो पर शब्द नहीं मिलते है
Read Moreथोडे से हैं आंसू, थोडी सी हंसी है हां यही जिन्दगी है। तुम जो मुस्कुरादो, थोडा खिलखिलादो बस यही हर
Read Moreनिराकार बेडोल, यूं ही मिट्टी का ढेला। फिरता यूं ही मूढ, जगत में रेला रेला॥ गर देकर के ज्ञान, ना
Read Moreभोजन करने से पहले और बाद में याद रखने योग्य आवश्यक नियम जब हम भोजन करते हैं तो हमें भोजन
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