उपन्यास अंश

अधूरी कहानी: अध्याय-32: कंपनी खतरे में

ब्लैकमेलर भाग चुका था पर हमें यकीन था कि इस फंग्शन में एंथोनी जरूर आयेगा इसलिए हमने यह फंग्शन रखा और हम कामयाब हुये एंथोनी आया यहां और इस बार हमारे हाथ से नहीं बच पाया तभी कंपनी के मैनेजर गणेश कुशवाह दौड़कर आये और बोले कोई भी कम्प्यूटर काम नहीं कर रहा है बस डिलीट का आॅपशन आ रहा है और कम्प्यूटर पर उल्टी गिनती चल रही है।
राजेश जी तथा कमिशनर दौड़कर अंदर गये और देखा कम्प्यूटर पर उल्टी गिनती चल रही थी तब राजेश जी बोले ऐसे तो वर्षों की मेहनत बर्बाद जायेगी और हमारी टाॅप कंपनी मिट्टी में मिल जायेगी आखिर ये हुआ कैसे तब एंथोनी जोर से हंसने लगा और बोला ये सब मैंने ही किया है मुझे पता था कि तुम लोग मुझे पकड़ लोगे इसलिए मैंने यहां से बच निकलने के लिये पहले से ही तैयारी की है ये पूरा सिस्टम हैग करके कमिशनर बोला तो बताते क्यों नहीं तुम पासवर्ड तब एंथोनी बोला इतनी भी जल्दी क्या है पहले मुझे एक कार दो और पचास लाॅख रूपये और मेरे साथ अपने एक आदमी कै भेजो जो मुझे छोड़कर आयेगा तब मैं वहां से तुम्हें फोन करके पासवर्ड बताऊंगा ।
तभी कमिशनर एंथोनी की तरफ बढ़ा और बोला पासवर्ड तो तुझसे हम उगलवा ही लेंगे तभी समीर ने कमिशनर को रोक लिया तब एंथोनी बोला समीर तुम तो समझदार हो समझाओ इस कमिशनर को अगर ये मुझे जान से भी मार दे तब भी ये कंपनी नहीं बचेगी इसलिए तुम लोगों के पास मेरी बात मानने के अलावा कुछ और चारा नहीं है और एंथोनी जोर-जोर से हंसने लगता है।

दयाल कुशवाह

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