कविता

नन्ही बच्ची

साझ चबुतरे पर बैठ
मैं यही देख रही
नन्ही सी छोटी सी लडकी
हाथ में लिए हॉसियॉ
घास काट रही थी
क्या उम्र है इसकी?
अभि तो खाने,पीन,पढने का
फिर भी इतना संघर्ष क्यो?
मेरे से तो देखा ही नही गया
पास जा पूँछ बैठी
क्यो कर रही इतना काम
सहमी सहमी बोली वह
रोज यही का काम है मेरा
नही तो पडता है डांट सारा
मैं समझाते हुए बोली
पहले रखो अपना ख्याल
पढो लिखो बनो महान
तब करना ढेरो काम
इतना सुनते ही उसके ऑखो में
खुशी की लहर छा गई..
निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४