हास्य व्यंग्य

असहनीय असहिष्णुता, सहा नहीं जाए रे, दंगों के बिना रहा भी नहीं जाए रे

वाकई भारत में बहुत ही ज्यादा और असहनीय असहिष्णुता का वातावरण है, सबका दम घुटने लगा है, खासतौर पर कुछ ख़ास लोग बेहद बेचैन हैं,
• विदेशों में मोदी छा रहे हैं, सम्मान पा रहे हैं, उन्हें बिला वजह बहुत अहमियत दी जा रही है, कैसे सहन करें ?
• विदेशों से सम्बन्ध अच्छे बन रहे हैं, कैसे सहन हो ?
• विदेशों से निवेश तय हो रहे हैं, कैसे सहन करें ?
• दंगे बन्द हो गए, रोटियां कैसे सेंकें ?
• दंगे बन्द अखबारों में सुर्खियों भरे लेख लिखकर हिन्दुओं को कैसे कोसें, साहित्य के पुरस्कार कैसे मिलें ?
• दंगे बन्द, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बदनाम कर, संघ को कटघरे में कैसे खड़ा करें ?
• दंगे बन्द हैं तो टी.आर.पी. बढ़ाने के बेहतरीन अवसरों से वंचित हो गए हैं, सहन कैसे करें ?
• दंगे बन्द तो भारत, भाजपा, संघ आदि को विश्व में बदनाम करने के मौके ख़त्म, कैसे सहन हो ?
• सीमापार से आतंकी नहीं आ पा रहे है, भला कैसे सहन करें ?
• सीमा पार से आ रहे घुसपैठियों को मार गिराया जा रहा है, मानवता की हत्या को कैसे सहन करें ?
• घुसपैठियों द्वारा मारे जा रहे सैनिकों और सेना के अधिकारियों को सोश्यल मीडिया पर बहुत सम्मान मिल रहा है, इससे तो सैनिकों का हौसला बहुत बढ़ेगा, भला कैसे सहन करें ?
• प्रधानमंत्रीजी विदेश यात्रा में हमें ले नहीं जा रहे, विदेश जाने की लत सी पड़ चुकी है, वहां ऐश करने की तलब असहनीय हो गई, क्या करें ?
• आम मुसलमान अपने काम में शान्ति से मगन है, धन्धें अच्छे से चल रहे हैं, तरक्की में मगन हैं, मन अशान्त तो होगा ही, खाना तक नहीं पच रहा है, पाचनसुधा भी बेअसर है, क्या करते ?
• आम मुसलमानों के बच्चें अपढ़ रहकर छोटे रोजगारों की बजाय मेडिकल कॉलेजों और अन्य प्रकार की उच्च शिक्षा में पहले के मुकाबले तुलनात्मक रूप से ज्यादा आने लगे हैं, आम मुसलमान पढ़ने में आगे बढ़ेंगे तो किसे असुरक्षित सिद्ध कर, उन्हें अपना हथियार बनायेंगे, बड़ी बेचैनी है I
• इतना भड़काने के महीनों बाद भी देश के हिन्दू मुस्लिम एक दूसरे की जान के दुश्मन नहीं बनें हैं, असहनीय शान्ति है, असहिष्णुता की हद है I
• मुसलमान गौ सेवा करने लगे हैं, बेहद बेचैनी है I
• मुसलमान हिन्दुओं और हिन्दुस्तान की तारीफ करने लगे हैं, उल्टी, दस्त, होने लगे हैं I
• मुसलमान संघ के प्रचलन जुलूसों में फूल बरसाने लगे हैं, दिल के दौरे जैसी स्थिति है I
• मुस्लिम संत मुस्लिमों को हिन्दुओं की तारीफ करने लगे हैं I
• बोहरा समुदाय के सबसे बड़े संत मोदीजी की सार्वजनिक तारीफ़ कर रहे हैं, हमें तो जानलेवा अस्थमा का अटैक आने लगा है I
• आखिर पता चल ही गया —
अभी अभी पता चला है कि सारी असहिष्णुता की बड़ी जड़, हिन्दुओं की जागरूकता है I पता नहीं, क्यों इन दिनों हिन्दू अपने साथ हो रहे अत्याचारों, भेदभावों, आदि के खिलाफ मुंह खोलने लगा है, यह असहनीय है I हिन्दुओं को चाहिए कि जूते खाते रहें, पिटते रहें, लुटे जाते रहें, लतियाते रहें, मगर गरियाने की कोशिश नहीं करें, यह असहनीय है I और इसमें मोदीजी तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ही हाथ है I
सभी हिन्दुओं से अनुरोध है कि देश में सहिष्णुता की स्थिति को स्थापित करने तथा सेक्यूलरों, लेखकों, बड़े साहित्यकारों, इतिहासकारों की बिगड़ती सेहत की खातिर “जैसे थे” वाली स्थिति में आकर पुन: सभी लोगों से लात मारने या पीटने का अनुरोध करें ताकि देश सहिष्णु हो जाए I
जो भी हिन्दू इस अपील को स्वीकारेगा, सेक्यूलर उसे खुश होकर ईनाम में एक जूता टिकाकर उपकृत करेगा Iभिया, हमें (यानी देश को) बचालो, ये तो सहने की अन्तिम हद है I
• इसे शेयर करें और अपने विचार भी जोड़ें, अनुगृह होगा I
• पत्रिका अखबार में आज एक वरिष्ठ टिप्पणीकार विष्णु नागर का लेख इस शीर्षक से छपा है “ठीक ही तो कहा है आमिर ने” इस लेख की लीड लाइंस में लिखा है “आमिर खान से इतना ही कहना है कि आप, और शाहरुख – सलमान आदि तो देश से बाहर जाने का ख़याल भी मन में ला सकते हैं, आम करोड़ों मुसलमान कहां जाएंगे ? उनका जीना-मरना सब यहीं हैं I”
मेरा अपना आकलन है कि देश का आम मुसलमान अपने दैनिक जीवन में पहले से ज्यादा अथवा उतना ही सहज और सुरक्षित है उसके दिमाग में भारत छोड़ने I वह ऐसी किसी असहिष्णुता का न तो सामना करने को विवश है और न ही उसे महसूस नहीं कर रहा है, जिसका जिक्र लेखक ने किया है I मेरे मुस्लिम स्टूडेंट्स, मुझसे मिलने वाले मुस्लिम मित्र, जिन मुस्लिमों से मैं अपने दैनन्दिनी जिन्दगी में मिलता जुलता, खरीद फरोख्त करता हूं, वे भी उस असहिष्णुता से अनभिज्ञ और सहज हैं I ऐसा भी नहीं कि उनके दिलोदिमाग के किसी कोने में ऐसा कोई डर मौजूद है I

डॉ मनोहर लाल भण्डारी