कविता : स्त्रीलिंग
वो आया, हँसा बोला सुना चिल्लाया फिर थोड़ा मुस्कराया, तलब लगी थी , हाथ में लिया , ऊँगलियों में फँसाया,
Read Moreवो आया, हँसा बोला सुना चिल्लाया फिर थोड़ा मुस्कराया, तलब लगी थी , हाथ में लिया , ऊँगलियों में फँसाया,
Read Moreइन गुरुओं को मिल कर मैं हैरान था कि इतनी लूट वोह भी बड़ी इज़त के साथ हो रही थी।
Read Moreतनी ठहरीं ना …. हमरो ठोक लेबे दीं ….. दिन में हमरा मारले रहले हां ….. इतना कहते हुए ,
Read Moreसादर निवेदित एक भोजपुरी उलारा जो रंग फ़ाग चौताल इत्यादि के बाद लटका के रूप में गाया जाता है। कल
Read Moreरंग भी देता है खुलकर कौन है बैठा है जो दिल मे छुपकर कौन है लिख इबारत प्यार की दिल
Read Moreकोई फूलों की माला में काँटे पिरो रहा है कोई अपने हाथों अपनी कश्ती डुबो रहा है कुछ भी ना
Read More९ फरवरी २०१६ के पहले कन्हैया कुमार को कितने लोग जानते थे ? यह नौजवान जे एन यु छात्र संघ
Read Moreसोहन बहुत ही कोमल ह्रदय का प्रकृति प्रेमी बालक था। पर्वत, झरने,नदियाँ,पशु-पक्षी सब उसको बहुत पसंद थे।पर्वत से गिरते झरनों
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