क्षणिका

सजाते रहिए

सहज भाव से कविता को सजाते रहिए,
इस तरह अपने मन के गीत को सुनाते रहिए.
विनीत भाव से अपने जीवन को सजाते रहिए,
इस तरह अपने मन की बीन को बजाते रहिए.
प्रेम भाव से अपने रिश्तों को सजाते रहिए,
इस तरह अपने मन की बगिया को महकाते रहिए.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

8 thoughts on “सजाते रहिए

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह लाजवाब सृजन बहन जी

    • लीला तिवानी

      प्रिय राजकिशोर भाई जी, अति सुंदर व सार्थक टिप्पणी के लिए आभार.

  • रीना मौर्य "मुस्कान"

    sundar vichar
    🙂

    • लीला तिवानी

      प्रिय सखी रीना जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत सुन्दर विचार ,और क्षणिका समझने में इतनी आसान की मज़ा ही आ गिया .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सुंदर भावाभिव्यक्ति सखी

    • लीला तिवानी

      प्रिय सखी विभा जी, अति सुंदर व सार्थक टिप्पणी के लिए आभार.

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