गीतिका/ग़ज़ल

राहो-मंज़िल सभी की जुदा देखिये

राहो-मंज़िल सभी की जुदा देखिये
आदमी आदमी से ख़फ़ा देखिये

झांकिए मत गिरेबां हमारा मियाँ
इक दफ़ा आप भी आइना देखिये

इश्क़ की आग से बच सका कौन है
जिसको देखो वही जल रहा देखिए

आइये दोस्तों ढूंढ लाये कहीं
आदमीयत हुई गुमशुदा देखिये

रंग है एक सा ख़ून है एक सा
कौनसी बात में हम जुदा देखिये

सोचकर ही क़दम रखना ‘माही’ के है
इश्क़ का रास्ता खुरदरा देखिये

— माही

महेश कुमार कुलदीप

स्नातकोत्तर शिक्षक-हिन्दी केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-3, ओ.एन.जी.सी., सूरत (गुजरात)-394518 निवासी-- अमरसर, जिला-जयपुर, राजस्थान-303601 फोन नंबर-8511037804