कविता

जीवन उपवन

ये जीवन एक उपवन है तुम 
तितली बनकर रंग चुरा लो ।
सुख के फूल, दुखों के कांटें
इस जीवन ने सबको बांटे
फूलों से तुम हाथ मिलाओ
कांटो को भी मीत बना लो
ये जीवन एक उपवन है तुम 
तितली बनकर रंग चुरा लो ।
जो है कठोर, पथरीली राहें
खड़ी मुश्किलें बांहे फैलाएं
राह के पत्थर चुनकर तुम
एक मजबूत दीवार बना लो
ये जीवन एक उपवन है तुम 
तितली बनकर रंग चुरा लो ।
सुन्दर अभिनव स्वप्न सजाओ
सूरज सा रौशन हो जाओ
नदियों सा अविरल बहकर
मनचाही मंजिल को पा लो
ये जीवन एक उपवन है तुम 
तितली बनकर रंग चुरा लो ।

नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- neetusharma.prasi@gmail.com