क्षणिका

उसकी कामयाबी अवश्य होगी

जीवन है दौड़ का एक मैदान,
यहां दौड़ता है हर सामर्थ्यवान,
उसने खुद भी समझा है, औरों को भी समझाया है,
दौड़ते ही रहने में है अपने जीवन की शान.
यह दौड़ वह कैसे दौड़ता है,
इसी में छिपा है जीत-हार का राज,
जो पीछे रह गया, वह हार गया,
जो निरंतर दौड़ता रहा,
लगातार कोशिश करता रहा,
रहता है हर समय जो गतिशील,
उसके ही शीश पर सजता है जीत का ताज.
कोशिश मन की ऐसी स्थिति है,
जो न केवल गतिशील और क्षमतावान बनाती है,
बल्कि नाकामयाबी के डर से भी दूर ले जाती है,
जब डर ही नहीं रहा,
हार भी नहीं होगी,
हार न मानने वाले को मिलता है मौका-ही-मौका,
उसकी कामयाबी अवश्य होगी,
उसकी कामयाबी अवश्य होगी,
उसकी कामयाबी अवश्य होगी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244