कविता

थम जा

थम जा
सुनता नहीं थम जा
कुछ देर के लिए ही सही थम जा ।
कह रहा दिल से कोई थम जा ।
खुली फ़ज़ाओं में फूल तो हैं बहुत
मगर महक सबकी कब है होती ।
सूखे पत्ते की अपनी जगह
हर चीज़ जरुरी ।
फिर यह घुटन फ़ज़ाओं में
हवा दूषित थम जा दिल ।
धोखा ही धोखा हर तरफ़ ।

कल्पना भट्ट 

कल्पना भट्ट

कल्पना भट्ट श्री द्वारकाधीश मन्दिर चौक बाज़ार भोपाल 462001 मो न. 9424473377