लघुकथा

सैंडविच

सुमन ऊपर के कमरे में दरवाज़ा उढ़काकर पढ़ाई कर रही थी. कल उसका एम.बी.ए. का आखिरी पेपर था. सारे पेपर अच्छे गए थे, बस थोड़ा परिश्रम और! वह पढ़ाई करते-करते सोचने लगी थी. तभी दरवाज़ा खुला और सासू मां देसी घी की सौंधी खुशबू वाला गरमागरम हलवा टेबिल पर रखकर चुपचाप जाने लगीं, ताकि बहू की पढ़ाई डिस्टर्ब न हो. सुमन ने बड़े प्यार से ”थैंक्यू ममी जी” कहा. सासू मां मुस्कुराकर चली गईं. दो घंटे बीत गए. सुमन न चाय पीने आई, न पानी. सासू मां को कुछ-कुछ होने लगा. आज उन्होंने बंद गोभी की लज़तदार सब्ज़ी बनाई थी. सुमन को बंद गोभी की सब्ज़ी का टोस्ट बहुत पसंद था. बहुत प्यार से हल्की आंच पर उन्होंने टोस्ट को करारा सेका और एक ट्रे में चाय का प्याला, पानी का गिलास और टोस्ट के साथ एक पेपर नैपकिन रखकर सुमन को देने चली गईं. सुमन पढ़ाई में खोई हुई थी. सासू मां को चाय-पान के साथ देखकर बोली-”ममी जी, आप बार-बार क्यों तकलीफ कर रही हैं?” सासू मां ने मुस्कुराकर कहा- ”जब मैं एम.ए. की पढ़ाई कर रही थी, तब मेरी सासू मां भी ऐसे ही मुझे सब कुछ पहुंचाती थीं. मुझे तो भूख-प्यास की सुध नहीं रहती थी. जब मैं खाती थी, तब पता लगता था कि मुझे कितनी भूख लगी थी!” दोनों की स्नेहिल आंखें अपनी-अपनी सासू मां के स्नेह से नम हो आई थीं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244