लघुकथा

अब हम क्या करें !

रजनी और राम शादी में गए हुए थे तभी वहां पर नोट बंद होने की खबर सुनी!
पूरी बात तो समझ नहीं आई पर इतना ही समझ पाए कि जिनके पास पाँच सौ और हज़ार के नोट हैं अंदर उनको परेशानी हो जाएगी। रजनी अपने रिशतेदार भाई बहनो के साथ ठहाके मार मार कर हँस रही थी वो बेफिक्र थी क्योंकि उसे पता था कि उसके पास कोई आठ दस हज़ार रुपए ही हैं जिन्हें वो जमा करा देगी फिर अचानक राम की तरफ ध्यान गया कि यह कल ही तो छोटे नोट बड़े करा कर लाए थे क्योंकि आने वाले कल राम को अपने बिजनैस के सिलसिले में बाहर जाना था कैश लेकर अब रजनी भी परेशान नज़र आने लगी थी राम तो पहले ही चुप हो गए थे पर रजनी राम के बिजनैस और रुपए के रख रखाव और लेन देन के बारे में इतना नहीं जानती थी कभी पूछा ही नहीं ना ही राम ने कभी जिक्र किया था। पार्टी खत्म होने के बाद जब घर आए तो राम ने अपनी परेशानी रजनी को बताई वो आगे ही समझ गई थी राम को परेशान देखकर फिर,समाचार सुन के पूरी जानकारी ली। वो इस फैसले से बहुत ही खुश थी क्योंकि वो इमानदारी और सच्चाई के साथ थी और देश को बदलते हुए तरक्की करते हुए देखना चाहती थी। राम को भी यही कहती थी कि जो अपने उसूलों पर चलते हैं उन्हें कम चाहे मिले पर अच्छा मिलता है और बेफिक्र ज़िन्दगी होती है वो लोग सर उठाकर जीते हैं, किसी से उनको नज़रे चुराकर जीने की ज़रुरत नहीं पड़ती। राम भी इमानदार थे और मेहनती भी पर थोड़े लापरवाह और अपने काम काज में कागज़ी कारवाही को टालते रहना कि बाद में देखा जाएगा वक्त निकल रहा चलने दो। यह नहीं सोचना कि सभी पेपर वर्क चाहे वो बिजनैस से संबधित हो या किसी भी सरकारी गैर सरकारी काम के हर काम सही तरीके से हो तो परेशानी कम होती है। उसी वजह से और एक फैसले ने उनको परेशान भी कर दिया था और उनका नुकसान भी हो रहा था रजनी भी राम के साथ थी पर वो चाहती थी कि राम हर काम पूरे उसूलों के साथ और वक्त पर करे ताकि रुपयों को लेकर या काम को लेकर उनकी ज़िन्दगी में कोई परेशानी ना आए। क्योंकि जब फैसला देश हित में हो तो सबको उसका समर्थन करना चाहिए फिर चाहे थोड़ी परेशानी झेलनी भी पड़े अच्छा लगता है पर अगर हम ही गल्त हो तो फैसला तो गल्त लगेगा ना!
जय हिन्द!

कामनी गुप्ता***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |