लघुकथा

शराब

सुधीर और अमित एक ही दफ्तर में काम करते थे । कारोबार में आई मंदी की वजह से कंपनी ने कर्मचारियों की छंटनी का फैसला किया जिसके शिकार सुधीर और अमित दोनों ही बने । अब दोनों बेरोजगार थे । अमित काफी समझदार और सुलझा हुआ इंसान था । उसने दुसरे नौकरी की तलाश शुरू कर दी और कुछ महीनों की बेकारी के बाद उसे दूसरी नौकरी मील भी गयी । वह अब अपनी जिंदगी में मस्त था । दूसरी तरफ सुधीर काम छूटने से परेशान हो गया था । गम गलत करने के लिए शराब का सहारा लेने लगा । कुछ ही दिनों में उसे शराब की लत लग गयी थी । कई जगह नौकरी का प्रयास किया लेकिन उसके शराब की आदत की वजह से उसे जब कोई नौकरी नहीं मीलती तो शराब सेवन की उसकी उतनी ही मात्रा बढ़ जाती ।
हमेशा की तरह अमित काम पर से आते हुए बस से उतर कर अपनी बस्ती की तरफ बढ़ रहा था कि एक जगह सड़क के किनारे लोगों की भीड़ देख कर कुतूहल से भीड़ में घुस गया । लोगों की कानाफूसी से उसे पता चला कि कोई शराबी अधिक नशे की वजह से सड़क पर गिरकर बगल में बहती नाली में सरक गया था और दम घुटने से मर गया था ।
अमित भीड़ चिर कर नाली में पडे उस शव की तरफ देखने लगा और उसका चेहरा देखकर सन्न रह गया । वह सुधीर था ।

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।