राजनीति

अहसास

लीजिये एक बार फिर से गणतंत्र दिवस आ गया है .कुछ के लिए मौजमस्ती का ,तो ,कुछ के लिए औपचारिकताओं का दिन , देश प्रेमियों के लिए दुःख व कसक का दिन .ये दिवस आते हैं और यूँ ही चले जाते हैं .सभी इसे अपने – अपने तौर पर लेते हैं .ये ही हमारी राष्ट्रीय एकता और देश प्रेम है .असल बात ये है कि जिस चीज की दुःख व पीड़ा सही न जाये उसकी कीमत भी समझ नहीं आती .जो आजादी आज की पीढ़ी को सहज उपलब्ध हो गई है उसके मूल्य को समझना उनके लिए बेमानी है.शहीदों की कुर्बानियाँ कब की गुमनाम हो चुकी है .अब देश भक्ति चंद लोगों के बीच सिमट गई है । शेष के लिए यह सिर्फ़ एक दिन जोर शोर से गीत बजाने , मौज़ मनाने तक रह गई है ।हम कब ये बात समझेंगे कि देशभक्ति सिर्फ कुछ क्षणों के संकल्पों से नहीं आती बल्कि हमारी सोच से आती है , हमारे कर्मों से झलकती है , हमारे नज़रिये से प्रतिबिंबित होती है , जिंदगी भर का समर्पण होती है एक जज़्बा होती है जो सच्चे देशप्रेमी के हृदय में सदा आलोकित रहती है , गूँजती रहती है ।हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का हिस्सा हैं, गर्व है हमें इसका ।लेकिन लोकतंत्र केवल अहसास पर नहीं चलता ।गर्व में कर्त्तव्य न हुआ तो वह फीका पड़ जाता है ।हम हर रिश्ते के प्रति अपनी जवाबदेही को मजबूत किये जाने की बात करते हैं , लेकिन धरा से अपनी मातृ भूमि से रिश्ते को केवल अहसास के भरोसे छोड़ देते हैं । जिसे निभाना पहला कर्त्तव्य होना चाहिए वह आचरण के किसी पायदान पर नजर नहीं आता।
शशि …

शशि बंसल

पद - हिन्दी व्याख्याता शिक्षा - बी एस सी , एम ए ( हिन्दी , समाज शास्त्र ), बी एड रूचि - पढ़ना , लिखना , पुराना संगीत सुनना । पति - राजेश बंसल व्यवसाय - ओनर ऑफ़ दवा कंपनी बेटा - एक ( अध्यनरत ) पता - j -61, गोकुलधाम , सेंट्रल जेल के सामने mims रोड , करोंद बायपास, बढ़वाई भोपाल - 462038 मो. - 7697045571