हास्य व्यंग्य

व्यंग्य कविता : खद्दर का शौक

शर्मा जी के लड़के को लगा अजब सा रोग।बचपन से ही खद्दर पहनने का चढा गजब का शौक।।

बड़े शर्मा ने बेटे को नीम हकीम तांत्रिक से दिखलाया।
लेकिन जूनियर शर्मा के विचार मे कोई परिवर्तन नही आया।।

आहत शर्मा जी को मैंने प्रेमपूर्वक फिर समझाया” आखिर इसमें क्या बुराई है खद्दर तो नेताओं की पोशाक है”।।
शर्मा जी बोले” बुराई खद्दर मे नहीं बंधु किंतु खद्दरधारी नेता बनना तो शर्मनाक है”।।

मैंने पूछा ” इसमें कैसी शर्म है नेताओं की अपनी महानता है
गांधी, नेहरू, सुभाषचंद्र को भला कौन नही जानता है”!
शर्मा जी बरबस बोल उठे”आपकी तार्किक बातों मे शत-प्रतिशत सत्यता है ।
परंतु मेरा बेटा मधु कोड़ा, कलमाडी, ए राजा को अपना आदर्श मानता है”।।

विनोद कुमार विक्की

विनोद कुमार विक्की

शिक्षा:-एमएससी(बी.एड.) स्वतंत्र पत्रकार सह व्यंग्यकार, महेशखूंट बाजार, खगडिया (बिहार) 851213