मुक्तक/दोहा

मुक्तक

उबलते जज्बात पर चुप्पी ख़ामोशी नहीं होती
गमों के जड़ता से सराबोर मदहोशी नहीं होती
तन के दुःख प्रारब्ध मान मकड़जाल में उलझा
खुन्नस में बयां चिंता-ए-हुनर सरगोशी नहीं होती

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ