कविता

कविता- तुम्हारी याद नेताजी

देख ‘मां’ को गुलामी की जंजीरों में
रक्त तुम्हारा उबल पड़ा था ।
तुम्हारी एक हुंकार से तब
देश तुम्हारे साथ खड़ा था ।।
तुम आजादी के परवाने थे
भारत मां के दिवाने थे ।
शस्त्र उठाकर गरजे थे जब
सेना बन खड़े लाखों अंजाने थे ।।
रक्त मांग लड़े आजादी का जंग
कूटनीति का किया सफल परीक्षण ।
अपनों के संग गैर भी आये
अंग्रेज थे डर से थरथराए ।।
आजादी की मिशाल बनें
लाचारों की ढाल बनें ।
‘नेताजी’ बनकर आप
दुश्मनों के काल बनें ।।
पर नियती भी है बड़ी कठोर
अपनों ने किया छल बिना कोई शोर ।
छोड़ गये हमें आप जाने कहां
आते हो याद हमें सदा ।।
सीखना तो था बहुत कुछ तुमसे
पर निकल न पाये स्वार्थ के भरम से ।
‘जय हिंद’ का नारा तो अपना लिया
और तुम्हारे आदर्शों को पर भूला दिया ।।
फिर आना तुम एक बार
यहां देशप्रेम अभी जगाना है ।
‘जय हिंद’ के साथ
नया ‘आजाद हिंद फौज’ बनाना है ।।

मुकेश सिंह
सिलापथार, असम ।
09706838045

मुकेश सिंह

परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैl शिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl