बाल कहानी

क्लास में सफाई

स्कूल में आते ही बच्चों का ध्यान मुख्य पटल पर पड़ा जिसपर लिखा हुआ था
इस माह से स्कूल प्रबन्धक कमिटी ने तय किया है कि स्वछता अभियान के तहत जो क्लास सबसे ज्यादा साफ़ मिलेगी उस क्लास को इनाम के तौर पर एक ट्रॉफी मिलेगी साल के अंत में और जो क्लास सबसे ज्यादा गन्दी मिलेगी उसको भी एक ट्रॉफी मिलेगी ।
बच्चों में एक उत्साह दिखा , पर सब सोच में पड़ गये गंदगी के लिये ट्रॉफी ! किसीको भी ये बात समझ नहीं आयी । बच्चों ने प्रयास किया कि इस बारे में जानकारी हासिल कर पायें पर इस विषय में किसीको कुछ भी नहीं पता था और न ही टीचर्स ने उनको कुछ बताया ।
खैर , सब अपने क्लास को बेहतर बनाने में लग गये। विध्यार्थी गण बेहतर से बेहतर तरीके से क्लास को सजाने में , साफ़ सुथरा रखने में लग गये । धीरे धीरे स्कूल में सफ़ाई दिखने लगी और आसपास के रहने वालों को जब इस बात का पता चला तो स्कूल के बच्चों की मिसाल देने लगे । धीरे धीरे अपने अपने घर और प्रांगण भी साफ सुथरे दिखायी देने लगे ।
इन सब से अलग स्कूल में एक क्लास ऐसी थी जिसमें कोई जाना पसंद नहीं करता था , कई बार टीचर के कहने पर वहां सफाई हो जाती पर वापिस वो के वो हाल ,जगह जगह कागज़ पड़े हुए , बच्चों के लंच का कचरा वगेरे । बाई साफ़ करती रहती थी । पर इस क्लास के बच्चे तस से मस नहीं हुए ।
साल खत्म होने को आया , अवॉर्ड मिलने का समय आ गया , सबके मन में ये प्रश्न था इनाम किस क्लास को मिलेगा ? गंदगी के लिये तो क्लास तय थी पर सफाई के लिये ?
आखिर वो समय भी आ ही गया । प्रिंसिपल सर ने अवार्ड घोषित करवाये और स्वयंने अवार्ड वितरण किये ।
अब क्या था , सफ़ाई रखने के लिये तालियों की बौछार शुरू हुई तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी । हर क्लास को किसी न किसी वजह से अवार्ड प्राप्त हुए । और गन्दी क्लास को भी जैसे की बताया गया था , एक अवार्ड प्राप्त हुआ ।
सब की ट्रॉफी पर कुछ न कुछ लिखा हुआ था । गन्दी क्लास के लिये भी लिखा हुआ था , ‘स्कूल की सबसे गन्दी क्लास ‘ ।
अब क्या था इस ट्रॉफी को लेने क्लास का मॉनिटर को जाना था स्टेज पर , सो वो गया पर ट्रॉफी प्राप्त करते वक़्त वहां तालियों की जगह लोगों की हंसी सुनाई दे रही थी । मॉनिटर ने स्टेज से अपनी क्लास के दूसरे बच्चों की तरफ़ देखा सब की नज़रे झुकी हुई दिखी । उसको शर्मिंदगी मेहसूस हुई और वो स्टेज पर ही रो पड़ा ।
उसको रोता देख प्रिंसिपल सर ने उसके सर पर प्यार से हाथ फिराया और स्कूल को सम्बोधित करते हुए बोले , ” बच्चों मैं जानता था , यही होगा पर मुझे ख़ुशी है कि देर से ही सही पर इस क्लास को अपनी गलती का एहसास हो गया है । ये अवार्ड सिर्फ सबक़ सिखाने के लिये घोषित हुआ था । उम्मीद करता हूँ की आगे से ऐसी गलती कोई न करेगा । ”
धीरे धीरे हुआ यूँ की इस स्कूल की चर्चा अख़बारों में होने लगी और अपने एरिया की सबसे बेहतरीन स्कूल में इसको सम्मानित किया गया । सरकार द्वारा भी इस स्कूल को अनेको अवार्डों प्राप्त हुए ।

कल्पना भट्ट

कल्पना भट्ट श्री द्वारकाधीश मन्दिर चौक बाज़ार भोपाल 462001 मो न. 9424473377