काव्यमय कथा-4 : एकता में बल है
एक किसान दुःखी था मन में,
चारों बेटे लड़ते रहते,
इस प्रकार लड़ते रहने से,
सारे काम बिगड़ते रहते.
एक बार रोगी होने पर,
चारों बेटों को बुलवाया,
एक-एक लकड़ी दे उनको,
उसे तोड़ने को उकसाया.
झटपट लकड़ी सबने तोड़ी,
बोले, ”काम सरल है यह तो”,
बापू बोले, ”लकड़ी चार ले,
इनका गट्ठर एक बांध लो.”
गट्ठर बन जाने पर उनको,
कोई बेटा तोड़ न पाया,
”मिलकर रहने में ताकत है”,
ऐसा उनकी समझ में आया.