सामाजिक

सुनो ! गुरमेहर : युद्ध और पाकिस्तान दोनों गलत हैं

न मैं वामपंथी हूँ ! न मैं दक्षिणपंथी हूँ ! न भाजपाई, न कांग्रेसी, न ABVP का सदस्य, न NSUI का सदस्य, न आजसू का सदस्य हूँ ! न मैं अन्य दलों का कार्यकर्त्ता हूँ और न मैं गुरमेहर कौर का समर्थक हूँ ! मैं तो NOTA में वोट डालता हूँ, पर जो दल या सरकार बढ़िया काम करते हैं, उनका बड़ाई जरूर करता हूँ, पर सबसे बड़ी बात है कि इन सबसे अलग मैं एक भारतीय हूँ और मुझे गर्व है मेरे भारतीय होने पर ।

जब से सोशल मीडिया की शुरुआत हुई है, लोग प्रमुख मामले को नज़रअंदाज़ कर आलतू-फालतू मामले पर ज्यादा ही फोकस करते हैं । बहरहाल, भारत के महान शहीद की बेटी आजकल देश को ताक पर रखकर स्लेट पर मौनी प्रदर्शन कर रही हैं । शहीद सैनिक की बेटी होने के नाते वे सम्मान की पात्रा हैं, लेकिन इनका यह मतलब नहीं कि उनकी आधारहीन बातों को स्वीकार कर ली जाय । वे महिला भी हैं, किन्तु इसका मतलब यह नहीं कि आप स्वदेश को दाँव पर लगाकर ‘कुछ’ भी बोलती जाएँ !

आजकल ‘देशभक्ति’ और ‘स्वतंत्रता’ को लेकर नयी संस्कृति पनप रही हैं, जैसे- किसतरह से एक कॉलेज प्रबंधन ने ‘राष्ट्रद्रोह’ में लिप्त व्यक्ति को निमंत्रण देकर ‘प्रतिशोध की संस्कृति’ पर भाषण देने बुलाया ? एक देशद्रोही (जिनपर अभी मुकदमा चल ही रहा है) को इस हेतु आमंत्रित किया ! ‘दो-गुटों’ में जो टकराव हुए, वह तो कॉलेज की गलतियों से अवगत कराते ही हैं, उनके देशभक्ति पर शक भी पैदा करते हैं!

जिसतरह से सोशल मीडिया पर कारगिल युद्ध में शहीद हुए मनदीप सिंह की बेटी गुरमेहर कौर ने एक मुहिम छेड़ दी है कि उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट पर यह लिखी है– ‘आई एम नॉट अफरेड ऑफ एबीवीपी’ अभियान शुरू किया था। यह अभियान वायरल हो गया और विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों से इसे बहुत समर्थन मिल रहा है, लेकिन उनकी इस बयान के बाद गत पिछले वर्ष दी गई बयान ‘सियासती-कसरत’ करवा रही हैं । उन्होंने कहा है कि ‘पाकिस्तान डिड नॉट किल माय फादर, बट वार डिड’ (पकिस्तान ने मेरे पिता की हत्या नहीं की, बल्कि युद्ध ने उनकी जान ली) । लो, आप एक शहीद की बेटी है, उसमें भी अपने 36 स्लाइड्स वाले you tube वीडियो पर काफी मुद्दों को उठायी हैं, लेकिन युद्ध क्यों हुआ, इसे आप नहीं बतायी हैं । आपने यह भी लिखा है:-
@जब मैं 6 साल की थी, मैंने बुर्का पहने एक औरत पर हमला करने की कोशिश की थी,
@क्योंकि कुछ अजीब कारणों के चलते मुझे लगा कि वह भी मेरे पापा की मौत की जिम्मेदार थी ।
@तब मेरी मां ने मुझे संभाला और मुझे समझाया कि मेरे पापा को पाकिस्तान ने नहीं मारा, जंग ने मारा है ।

आपको यह समझ नहीं आई है कि 6 साल की बच्ची की सोच और 20 साल की युवती की सोच में काफी फर्क होता है । आप अपनी माँ की बात सही मानती है, माननी भी चाहिए, क्योंकि ‘जन्नत’ कहीं भी है तो माँ के आँचल में ! लेकिन आप भारत माँ को भूल गयी ! बात सही भी है कि ‘युद्ध बुरी बात है’, लेकिन जब कोई भारतमाता या किसी माँ की आँचल को तिक्त/क्रश/इति करनेवाले उसके घर में आये, तो उनके बच्चे का क्या फर्ज बनता है ? माँ को बचाना ! वही तो आपके पापा ‘भारत माता’ को बचाने गए थे !

आपके 36 विचार में कुछ विचार तो वही है, जो आम-आदमी भी कहते हैं, जो गीता कहती आ रही है । फिर क्या यह पब्लिसिटी का बहाना था, क्योंकि आपके पोस्ट के बाद काफी जुमले बनने लगे, कहीं आपकी मजाक उड़ रही है, तो कहीं आप ही उड़ रही हैं !
आपके विचारों के बाद सोशल मीडिया पर क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने यह जवाब दिया कि ‘दो तिहरे शतक उन्होंने नहीं, उनके बैट ने लगाये थे’ ! आप और आप जैसे अन्य लोग सहवाग का आलोचना करने लगे हैं, तो आप ही बताओ, जब आपके पिता को पाकिस्तान ने नहीं, युद्ध ने मारा और उसी अंदाज़ में अगर सहवाग ने यह कह दिया हो कि दो तिहरे शतक उन्होंने नहीं, उनके बैट ने लगाये थे, तो उन्होंने गलत क्या कहा ? पहलवान गीता फोगाट भी आपकेे बयान का विरोध करते हुए कहा कि अगर आप देश के खिलाफ बोलते हैं, तो निश्चित तौर पर लोग आपको नापसंद करेंगे, चाहे आप पुरुष हों या फिर महिला।

कोई विचार फख्त 140 शब्दों में लिखा जाने वाली चीज नहीं है, क्योंकि आप यदि अपने आप को सही मानती भी हैं तो आप ट्वीट कर यह कदापि नहीं कहती — ‘मैं यह अभियान वापस ले रही हूँ। सभी को बधाई । मैं आपसे मुझको अकेला छोड़ देने का आग्रह करती हूँ । मुझे जो कुछ भी कहना था, मैंने कह दी है…।’

आपने यह भी बताया की आपको लोग सोशल मीडिया पर धमकियाँ दे रहे हैं, कई तरह की ! यह बहुत गलत बात है, तर्क का जवाब, सिर्फ ही हो तो बेहतर है । ऐसे धमकी देने वाले लोग किसी के हितसाधक नहीं होते हैं । धमकी देनेवालों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए ।

पर आपके बयान के बाद ऐसा भी हो सकता है कि धमकियाँ मुझे नहीं ‘सोशल मीडिया’ को मिल रही हैं । आपको सिक्योरिटी दिया जा चुका है ! ये जो पब्लिक हैं, बहुत इमोशनल होती हैं । मुद्दे नहीं जानने के बाद भी कूद पड़ते हैं कुतर्की मैदान में ! ध्यातव्य है, आजकल सोशल मीडिया भी युद्ध का मैदान बन गया है । आपने वीडियो में युद्ध को गलत माना है और कहा है– मैं एक ऐसी दुनिया में रहना चाहती हूँ, जहां और कोई गुरमेहर कौर न हो, जो कि अपने पापा को मिस करें लेकिन एक पापा को पकिस्तान फाँसी देने पर अड़ा है यहाँ क्यों चुप है आप । कुलभूषण जाधव को भूल गयी आप , उनके भी बच्चे है वे भी किसी के बच्चे है ! तो फिर आप सिर्फ बातों से युद्ध का मैदान क्यों खड़े कर रही हो ! लोगों द्वारा ‘संस्कृति’ का बचाव सही है, लेकिन हिंसा से नहीं ! जो भी हो, परंतु देशद्रोहियों को सजा मिलनी ही चाहिए, क्योंकि भारत के तरफ से आजतक किसी भी युद्ध के लिए पहल नहीं किया गया है, लेकिन देश की अखण्डता और अक्षुण्णता को क्षति पहुँचाने वाले कारक को यूँ ही छोड़ा नहीं जा सकता, जो कि कल नासूर बन जाएंगे ।