गीत/नवगीत

दंड नीति अपनाओ जी !

 (  आदरणीय मोदीजी से माफी के साथ एक निवेदन  )
 बड़े प्यार से तुमको चाहा हमने अपना माना था
पर तुम उनके बाप बनोगे यही कभी ना जाना था
तीन साल में जाना हमने बस जबान में तेजी थी
पड़ी है अब तक वो चूड़ी जो मनमोहन को भेजी थी
एक के बदले दस लायेंगे सिर ये तुमने बोला था
जहर बुझे सुन तीर तुम्हारे जनता का मन डोला था
अच्छे दिन का नारा देकर जनता को फुसलाया था
देश का चौकीदार बनूँगा सबको यही बताया था
अच्छे दिन तो ना आये दिन वही पुराने दे दो जी
दिल्ली में क्यों सोया चौकीदार गदर में भेजो जी
कर विरोध आधार का पहले फिर आधार बनाया है
ले तुमड़ी घूमे जग भर पर पैसा एक न आया है
जी एस टी सम्पूर्ण क्रांति है पहले नहीं विचार किया
पर सत्ता पाते ही संसद में इसको स्वीकार किया
दागी एक भी नहीं रहेगा  यह वादा भी तेरा था
जनता को  मालुम नहीं दीपक के तले अंधेरा था
राजनीति की गंगा तुमने भा ज प को बनवाया है
दूसरों के दागी लेकर इस गंगा में नहलाया है
चाहे जो कर लो पर इतनी बात हमारी सुन लो जी
सरहद पर जो खड़े जरा सुध उनकी भी तुम ले लो जी
जय जवान और जय किसान का कितना सुंदर नारा था
भूखे मरे किसान देश में फौजी मरें बेचारा सा
जिस जवान पर गर्व हैं करते क्यों देते हैं दर्द उन्हें
किसने हाथ हैं बांधे उनके बनवाते नामर्द उन्हें
जिस जवान को देखकर दुश्मन थर थर कांपा करते हैं
उस जवान को दे थप्पड़ ये मुल्ले तनिक न डरते हैं
देख के दुर्गति सेना की जन जन का लहू भी खौला है
तेरा खून नहीं खौला क्यों अभी भी मस्त और मौला है
नहीं चाहिए मुफ्त के पैसे ना काला धन लाओ जी
देश में बैठे गद्दारों से सरहद को बचाओ जी
देशद्रोहियों के चमचों की बात न सुनना मोदी जी
अब सब कुछ है हाथ तुम्हारे कभी न भूलना मोदी जी
साम ‘ दाम सब बहुत हुआ अब दंड नीति अपनाओ जी
यही वक्त है सीना 56 इंची तुम दिखलाओ जी

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।