कविता

बांसुरी

बांसुरी वादन से
खिल जाते थे कमल
वृक्षों से आँसू बहने लगते
स्वर में स्वर मिलाकर
नाचने लगते थे मोर
गायें खड़े कर लेती थी कान
पक्षी हो जाते थे मुग्ध
ऐसी होती थी बांसुरी तान

नदियाँ कलकल स्वरों को
बांसुरी के स्वरों में मिलाने को थी उत्सुक
साथ में बहाकर ले जाती थी
उपहार कमल के पुष्पों के

ताकि उनके चरणों में
रख सके कुछ पूजा के फूल
ऐसा लगने लगता कि
बांसुरी और नदी मिलकर करती थी कभी पूजा

जब बजती थी बांसुरी
घन ,श्याम पर बरसाने लगते
जल अमृत की फुहारें
अब समझ में आया
जादुई आकर्षण का राज
जो की आज भी जीवित है
बांसुरी की मधुर तान में

माना हमने भी
बांसुरी बजाना पर्यावरण की पूजा करने के समान है
जो की हर जीवों में
प्राण फूंकने की क्षमता रखती
और लगती /सुनाई देती है
हमारी कर्ण प्रिय बांसुरी

संजय वर्मा “दृष्टि”

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच