कहानी

जग घुमेया थारे जैसा ना कोई

आज सुबह से ही ओमप्रकाश बाबू अपन मझिला लईका पिंटुआ पर पिनपिनाए हुए है, अचानक से नजर पड़ी ताश खेल रहे पिंटुआ पर, पिंटुआ तो अपनी ओर आते हुए देखते ही हवा के वेग से छड़की छड़प कर भागा है, 27 साल उम्र हो गई है लेकिन पिताजी का खौफ कहे या सम्मान कहे अभी भी है, धोती समेटते हुए ओमप्रकाश बाबू वृद्धावस्था में भी उसेन बोल्ट बनकर पीछा किए है, 200 मीटर तक तो दउरे हैं फिर हकम के पास के महरानी स्थान वाले चबूतरे पर बैठ गए हैं और गलियाना शुरू किए हैं, ई साला घर नाशक है, काम धंधा नहीं करेगा, रे साला ईंटो ढो न कम से कम,  कब तक बाप पर ही निर्भर रहेगा, ओमप्रकाश बाबू मास्टरी से रिटायर है।

उधर से रामकृपाल बाबू लोटा लेकर आ रहें है, हकमते हुए ओमप्रकाश बाबू से पूछा की भेल महराज कहां हुरुक गए थे, काहे जनरेटर जैसे फकफका रहें है, अरे इ हमर घर-नाशन पिंटुआ न है, ससुर के नाती कल से हम अपन चुनौटी खोज रहे है, मिल नहीं रहा, खैनी गायब है, ई पिंटुआ हमर खैनी खा गया, अब हम सीतामढ़ी जाएंगे तब न सरैसा खैनी लाएंगे। रामकृपाल बाबू ने कहा अरे छोड़िए महराज लीजिए खैनी खाईए, खैनी खाते हुए चर्चा शुरू कर दिए, गांव के टोले कि प्रमोद मिसिर की बेटी की बियाह में हुई अव्यवस्था से चर्चा शुरू हुआ है डोनाल्ड ट्रंप, इजरायल-फिलिस्तीन, सीरिया-लेबनान के गृहयुद्ध से लेकर पड़ोस टोले के लाजवंतिया के घरे के गृहयद्ध तक सारा झगड़ा आज यहीं पर निपटाएंगे। रामकृपाल बाबू ने कहा है, अरे महराज पिंटुआ के बियाह शादी के बारे में काहे न सोचते हैं, पछउआरी टोला के मनोजबा के न देखे थे, केतना अवंड था, बियाह होते ही सुधर गया है, कईसन कईसन ओहियात लईका के मेहरारू सुधार देती है तो ई पिंटुआ कोन खेत के मुरई है, इतना सुनते ही ओमप्रकाश बाबू के दिमाग की लाल बत्ती जल उठी. एकदमे सही सजेशन दिए है महराज, अपना नजर में कोई है तो बताईए, सुंदर सुघर दुल्हिन जो हमर पिंटुआ को संभाल दे।

पिंटुआ के बारे में क्या कहना? कक्षा 7 में था तो, अल्जेब्रा सीखाते हुए गणित वाले लखींद्र मास्टर साहेब ने करबद्ध प्रार्थना करते हुए कहा कि “ हे पार्थ, आपको द्रोणाचार्य ही पढ़ा सकते है, हम कुछ न कर सकते है, ब्रम्हा, विष्णु, महेश जी भी गणित सिखा दे तो हम अपना नाम लखीन्द्र से बदल के फरीन्द्र कर लेंगे। भले त्रिदेव आपको गणित न सिखा पाए लेकिन आप उनको सरईसा खैनी “अस्सी चुटकी और नब्बे ताल” में बनाकर खाना जरूर सीखा दोगे, क्लास में जोरदार का ठहाका लगता था।

पिंटुआ पड़ोस गांव की सुनितिया को दिलो जान से चाहता था, लव लेटर भी दिया था, दिल के चित्र बना के क्रॉस कर तीर निकाल कर “पिंटुआ Weds सुनितिया” भी लिखा था, गलती से अरनब गोस्वामी टाईप किसी लौंडे ने लीक कर दिया, सुनितिया पूरा क्लास में चिचिया-चिचिया के रोई से, हेडमास्टर मुरली प्रसाद ने तो पिंटुआ को 3 घंटे तक मुर्गा बनाया सो अलग.

ओमप्रकाश बाबू घिचा-तीरा के द्वितीय श्रेणी से मैट्रिक पास करवा दिए, इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए कोटा भेज दिए, 2 साल तैयारी तो किया, गांव से गया था भिखारी ठाकुरी जईसन, उधर से लौट कर हनी सिंह टाईप पीतल, रांगा, निकेल पता न कौन-कौन धातु गर्दन में पहिने, ओमप्रकाश बाबू छाती में मुक्का मार लिए, आई.आई.टी. क्लियर हुआ नहीं, महराष्ट्र के छेदीराम गंगाप्रसाद मेमोरियल इंजीनियरिंग कॉलेज में नाम लिखवा दिए, BTech. धारी जब गांव लौटा है, बोला है इंटरव्यू देकर आए हैं, अपने आप कॉल लेटर भेजेगा, 4 साल हो गया, ओमप्रकाश बाबू तो जब देखते हैं तब गरियाते है.

आज रामकृपाल बाबू न उनके दिमाग की लाल बत्ती जला दी है, ओमप्रकाश बाबू ने जाते ही पत्नी को बताया, पत्नी ने तो 11 रूपया का बताशा गांव के पीपल पेड़ वाले मलंग बाबा को चढ़ाने की मन्नत भी मान दी है, दू लीटर दूध भोले बाबा पर चढा भी आयी है, रामकृपाल बाबू ने पड़ोस गांव के प्रमुख राम एकबाल सिंह की बेटी ‘मैत्रेयी” जो पटना यूनिवर्सिटी से एम.ए है, B.Ed भी कर रखी है, दिल्ली में UPSC की तैयारी कर रही है, रिश्ता के लिए पिंटुआ का नाम सुझाया है, प्रमुख बाबू परसो पिंटुआ को देखने आने वाले है, पिंटुआ तो खुशी से गोबर में लात मार रहा है, ओमप्रकाश बाबू ने कटप्पा की तरह समझाते हुए कहा है, देख पिंटु ई पूरा महीना, खैनी, बीड़ी, सिंगरेट कुछ नहीं चाहिए।

ओमप्रकाश बाबू ने मायावती की तरह पूरा वक्तव्य रट लिया है, प्रमुख साहेब के आते ही बोल पड़े, देखिये, लड़के का बियाह तो हमको करना ही है, आज नहीं तो काल्ह करें, आजकल बी.टेक वाले लड़के मिलते कहां है, सरकारी नौकरी के लिए केतना मारा-मारी है, आप जानते ही है, हमर पिंटुआ नोएडा में इंजीनियर है, लोक सेवा आयोग के लिए आगे की तैयारी भी कर रहा है, ठाठ के नौकरी है, एसी में बैठना होता है, कोनो फौजी वगैरह तो है नहीं जो जान रिस्क में रहे, महीना पूरते-पूरते 35 हजार रूपिया एकाउंट में आ जाता है, राजा के नौकरी है, और जब राजा बियाह करेगा तो राजा जईसा खरचा भी होगा, गहना-गुरिया, जो भी आप देंगे ऊ तो अपनी बेटी को ही देंगे न, हमको बस दुआरी पर का खर्चा जे है से कि 10 लाख रूपया’ और एक ठो फोर व्हीलर दे दीजिए, बाकी हम आपसे कुछ माँग थोड़े ही रहे हैं, ई तो रेटे हो गया है महराज, बाकी आप गांव-समाज में घूम रहे हैं तो हमसे ज्यादा जानते ही होंगे।” पिंटुआ तो आज रेमंड का शर्ट और फार्मल जींस पहिने
इतना सहठूल दिख रहा है कि पूछिए मत, पिंटुआ को पहिले से ही पता था, कि ज्यादा सवाल न पूछे इसलिए अपने मित्रों गुड्डू, चंदनमां, ललनमा को बोल दिया था कि तुम मोबाईल पर बराबर फोन करते रहना, ताकि लगे कि बहुत बिजी आदमी है, तभी फोन की घंटी बजी है – “ जग घुमिया थारे जैसा न कोई”,

इक्सक्यूज मी ऑफिस से फोन आ रहा है, कहकर उठा है, अपने व्यक्तित्व में तनिको दाब उलार न दिखे ई पूरा कोशिश कर रहा है,

प्रमुख बाबू को लईका पसंद आ गया है, सैमसंग एंड्रॉयड मोबाईल निकाले हैं और बेटी ‘मैत्रेयी’ का फोटो दिखा दिए है, पिंटुआ तो फूल के बरसतिया बेंग (मेढक) हो गया है, प्रमुख बाबू दहेज देने के लिए भी तैयार हो गए है।

लेकिन, फिर भी हमारे यहां मिडिल क्लास में एक प्रसिद्ध कल्चर है कि लड़की को शादी की प्रक्रिया के दौरान न जाने केतना प्रीलिम्स, मेंस इक्जाम और मॉक टेस्ट से होकर गुजरना पड़ता है, मतलब लईका केतनो छाती में चिलम और विजय माल्या वाला किंगफिशर सुरूक के घूमता हो लेकिन उसके मां बाप को लईकी चाहिए एकदम सुसभ्य, सुशील सुकन्या, लौंडे की शक्ल भले क्रिस गेल जैसी हो लेकिन लड़की परिणिति चोपड़ा जैसी चुनना प्रीफर करते है, और इस इक्जाम को आयोजन करवाने में संपूर्ण परिवार की भागीदारी होती है, इस प्रक्रिया को ‘कन्या निरीक्षण’ शब्द का नाम देते हैं, जिसमें वर पक्ष की ओर से गणमान्य व्यक्ति लड़की का निरीक्षण करते हैं, यहां महिलाओं की भूमिका आश्चर्यजनक होती है, लड़के की फुआ कन्या की लंबाई, चौड़ाई, उंचाई बोले तो पूरा पाईथागोरस प्रमेय लगाकरके जांच करके नाप लेती है, लड़के की चाची कलर देखती है कि मेलानिन (काला-गोरा,पीला,नाला बोले तो रंग निर्धारक हार्मोन) शरीर में किस स्तर तक है, लड़के की दादी कन्या के शरीर पर कोई फोड़े, फूंसी है या नहीं ये जांच करती है, मोतीहारी वाली बुढ़िया नानी, जिसके दोनो पैर कब्र में है, खुद दुसरों के सहारे चलती है, ये बोलती है कि ऐ बबुनी तनिका रूमवा में चल कर देखाओं तनी, मतलब दिव्यांग तो नहीं है न। और उसके बाद भी वर पक्ष के पास ये राईट सुरक्षित होता है की किसे सेलेक्ट करना है और किसे रिजेक्ट करना है।

खैर ओमप्रकाश बाबू भी देखउटी की को तिथि तय किए है, सीतामढ़ी, पुनौरा धाम वाले मंदिर मे आना तय हुआ है, उक्त तिथि को दोनों पक्ष सीता की जन्मस्थली वाली पावन भूमि पर उपस्थित हुए है, दादी, चाची, फुआ और नानी द्वारा कंडक्ट कराए गए इस जांच परीक्षणों के पश्चात कन्या को उतीर्ण घोषित किया गया है, प्रमुख साहेब लड्डू बंटवा रहे हैं, ओमप्रकाश बाबू तो छाती छप्पन इंच फूला ही चुके है, मतलब बचबा हमर सक्सेस हो गया, तभी मैत्रेयी ने पिंटुआ से बात करने की इच्छा जाहिर की है, दोनों पक्षों से मिले अनुमोदन के पश्चात अब दोनों तालाब के पास वाले पगडंडियों पर टहल रहे हैं, बात करने की कोशिश कर रहें है, पिंटुआ तो भकचोन्हिया गया है, कंठ से आवाज ही नहीं निकल रहा है,

मैत्रेयी ने सवाल दागा है – Why did you choose engineering profession?, हाउ कैन यू मेक चेंजेज इन सोसायटी?

अब देखिए एक तो यही झोल है लोक सेवा आयोग एसपाईरेंट्स का, कब्र में भी रहेंगे न तो समाज के बारे में ही सोचेंगे, समाज, कल्चर, संविधान इससे उपर कुछो लउकाता नहीं है, भले अभी वो प्रशासक बने या न बने स्टूडेंट ही क्यों न हो, पिंटुआ को लगा की अपने बारे में पूछा जाएगा, यहां तो सिलेबस से बाहर का ही कुश्चन, हां बस उसे लगा कि आंग्ल भाषा में कुछ बोल रही है,

पिंटुआ के तो चेहरे पर हवा हवाई हो गया, आंग्ल भाषा से पिंटुआ का ओतने रिलेशन है जेतना मोदीजी और आडवाणी का, क्या बोले समझ में ही न आ रहा है, सोच रहा है कि साला कहां फंस गए बिना मतलब में, दिसंबर महीने में भी पसीना से लथपथ,

मैत्रेयी ने फिर सवाल दागा है – “व्हाई आर यू नॉट सेयिंग एनीथिंग?, कुछ तो बोलिए, अब बोलिएगा नहीं तो पता कैसे चलेगा कि आप बोलते भी है, तभी फोन की घंटी बजी है,

रिंगटोन “जग घुमिया थारे जैसा न कोई” , फोनवा उठाकर हेलो-हेलो कर रहा है, पिंटुआ की हालत देखकर, मैत्रेयी को क्षण में पता चल गया है कि किसके गले में पापा हमें बांध रहे थे, भागकर पिताजी के पास आयी है, साईड में ले जाकर उन्हे समझायी है, प्रमुख बाबू का झट से बुद्धि खुला है, बुद्धि खुलते ही सीता माता को प्रणाम कर के चुपचाप चल दिए है, ओमप्रकाश बाबू की टीम भी पूरे लाव लश्कर के साथ अब लौट रही है, पिंटुआ तो चोन्हिया गया है, उसे तो शॉक लगा है, कल गांव में हल्ला हो गया कि अरे पिंटुआ तो नाक कटवा दिया , लेडिस(लेडिज) से बेईज्जती करवा के आया है, ओमप्रकाश बाबू फिर गरियाना शुरू किए है, कपार पढ़ाई लिखाई किया है, गांव जवार में मुंह दिखाने लायक नहीं रहे, तभी फिर से पिंटुआ के फोन की घंटी बजी है — “जग घुमिया थारे जैसा न कोई”

पिंटुआ फोन को काटा है और घर से निकला है, बागवानी की ओर, शायद कालीदास की तरह फिर कोई मालविकाग्निमित्रम और अभिज्ञानशाकुंतलम की रचना करके ही लौटेगा।

– आनंद

सीतामढी, बिहार.

आनंद कुमार

विद्यार्थी हूं. लिखकर सीखना और सीखकर लिखना चाहता हूं. सीतामढ़ी, बिहार. ईमेल-anandrajanandu7@gmail.com