लघुकथा

सेम तरीक़ा

“आपका बच्चा क्लासरूम में पढाई पर ध्यान ही नही देता, मैथ का एक क्वेश्चन सेम तरह से कई बार समझाया पर समझ में ही नही आता इसके…या यूँ कहें कि ध्यान नहीं देता ये।”

“जब एक ही तरीके से समझ में आना होता, तो पहली बार में ही समझ में आ जाता। बार बार समझाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती।” कुशाग्र की मां बोली ।

“मतलब हम लोग पढाना नहीं जानते।” इस बार टीचर चिढ गई।

“मैंने ये कब कहा? जिस राह पर चलकर मंज़िल न मिलें तों दूसरी राह पकड़ लेते हैं। सेम तरीक़े से नहीं समझे, तो तरीक़ा बदलकर समझाते हैं।”

अभी तक वह कड़क टीचर सुनाने के लिए प्रसिद्ध थी। आज दांव उल्टा था।
— रजनी विलगैयां

रजनी बिलगैयाँ

शिक्षा : पोस्ट ग्रेजुएट कामर्स, गृहणी पति व्यवसायी है, तीन बेटियां एक बेटा, निवास : बीना, जिला सागर