कविता

प्यार बढ़ाने आया हूं

व्यक्ति – व्यक्ति का भेद मिटाने, मैं यहां पर आया हूॅ
प्यार बढ़ाने आया हूॅ, मैं प्यार बढ़ाने आया हूॅ।
जाति – धर्म के बढ़ती खाई को, मैं पाटने आया हूॅ,
प्यार बढ़ाने आया हूॅ, मैं प्यार बढ़ाने आया हूॅ।।
आप सभी इस बात को समझे, यही बताने आया हूॅ।।

जाति – धर्म के नाम पर आज, कितनों के चूल्हे जलते हैं,
इन्हीं चूल्हों के कारण आज, कितने घरों में मातम पसरे है।
पर इनको सिर्फ पड़ी है अपनी, इनके लिए सब दौलत है,
अब तो पहचानो लोगो इन्हें, अब थोड़ी सी ही मोहलत है।।
आप सभी इस बात को समझे, यही बताने आया हूॅ।।

हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई को, आपस में लड़वाते हैं,
एक स्तंभ बुरा भारत का, लोगों में भ्रम ऐसा फैलाते हैं।
हिंदू, मुस्लिम धर्म को भी अब, आतंकवाद से जोड़ा है,
मानवता शर्मसार हो रही, बच्चें – बुढ़ें रोते हैं,
आप सभी इस बात को समझे, यही बताने आया हूॅ।
प्यार बढ़ाने आया हूॅ, मैं प्यार बढ़ाने आया हूॅ।।

संजय सिंह राजपूत

संजय सिंह राजपूत

ग्राम : दादर, थाना : सिकंदरपुर जिला : बलिया, उत्तर प्रदेश संपर्क: 8125313307, 8919231773 Email- sanjubagi5@gmail.com