कविता

प्रकृति की सीख

ये बारिश का मौसम, ये फूलोंं का गुलशन
कहते हैं हमसे, खुश रहो हर पल हरदम।
ये फूल गुलाब का कहता है हमसे,
काँटो के बीच भी रहकर दूर रहो गम से।
सबसे करो प्यार , ना रहो गुमशुम से।
क्योंकि जिन्दगी में पल है , बडे. कम से।

ये लहराता सागर, ये बलखाती लहरें
कुछ कहती हैं हमसे-
सबका अभिनन्दन करो, चरण स्पर्श कर , स्वागत करो मन से।
प्यार करो रिश्तों से, ना करो धन से।

ये कल-कल करती नदियाँ, ये पहाड.,
ये वादियाँ , कुछ कहती हैं हमसे-
गुनगुनाते रहो, मस्त रहो, झूमो खूब जमके,
खुद भी नाचो, और दूसरों से भी लगवाओ ठुमके,
जिन्दगी जियो भरपूर,रहो बन ठन के,
चलते रहो निरन्तर क्योंकि……..
मंजिल मिलती है जतन से।।

— नेहा मिश्रा

नीरज पांडे

नीरज पांडे सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश