कविता

मित्र दास्ताँ

बिन दोस्तों के जिंदगी अधूरी लगे,
जीना भी बिन उनके मजबूरी लगे,
बिन उनके है हर खुशियां अधूरी,
तनहा होती कहाँ है कोई बात पूरी,
लगे संगत में उनके रंगीन हर पल,
बातों से उनकी दिल जाए मचल,
याद बीतें पलों की जो आने लगे,
जिंदगी एक दफा फिर मुस्कुराने लगे,
कोई शाम अपनी जब भी उदाश हो,
दिल चाहे कोई हमसफ़र तो पास हो,
हो कोशिस की संगत बनी ही रहे,
दूरी चाहे भले मीलों की रहे,
बिन दोस्तों के,,,

नीरज पांडे

नीरज पांडे सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश