कविता

देहरी उदास है

द्वारे को दीप भी देहरी उदास।
तेरे आगमन की आंगन को आस।
आओगे हे दिल में  आस।
बांट लोगे दुःख ऐसी आस।
फूल भी कुम्हला रहे देख बाट।
सुनी गली पड़ी हे और हाट।
 हृदय में पिन सी चुभ जाती है ।
जब तुम मुख मोड़ चले जाते हो।
प्यारा का एहसास कब रीत गया।
ऐसे जैसे सूरज पश्चिम में डूब गया ।
सूरज की किरण है हथेली में तेरे लिए।
मुठ्ठी में समेट लो या छोड़ दो मेरे लिए।
सींची थी प्यार से ऋतु बेल कभी ।
प्रीत की वो  बेल  सुखे से ग्रस्त है।
 पाने की आरज़ू से मन मेरा मस्त है
तू अपने ही ख्यालों में मद मस्त है।
बूंद बूंद जल स्नेह के रस पागी ।
रात रात भर चांद देख मैं जागी ।
करती रही भोर को इंतजार।
है मेरे सुघड़ प्रियतम भरतार ।
द्वारे को दीप भी देहरी उदास।
तेरे आगमन की आंगन को आस ।

अर्विना गहलोत

जन्मतिथि-1969 पता D9 सृजन विहार एनटीपीसी मेजा पोस्ट कोडहर जिला प्रयागराज पिनकोड 212301 शिक्षा-एम एस सी वनस्पति विज्ञान वैद्य विशारद सामाजिक क्षेत्र- वेलफेयर विधा -स्वतंत्र मोबाइल/व्हाट्स ऐप - 9958312905 ashisharpit01@gmail.com प्रकाशन-दी कोर ,क्राइम आप नेशन, घरौंदा, साहित्य समीर प्रेरणा अंशु साहित्य समीर नई सदी की धमक , दृष्टी, शैल पुत्र ,परिदै बोलते है भाषा सहोदरी महिला विशेषांक, संगिनी, अनूभूती ,, सेतु अंतरराष्ट्रीय पत्रिका समाचार पत्र हरिभूमि ,समज्ञा डाटला ,ट्र टाईम्स दिन प्रतिदिन, सुबह सवेरे, साश्वत सृजन,लोक जंग अंतरा शब्द शक्ति, खबर वाहक ,गहमरी अचिंत्य साहित्य डेली मेट्रो वर्तमान अंकुर नोएडा, अमर उजाला डीएनस दैनिक न्याय सेतु