कविता

कविता – हमारा गुनाह और सावन !!

बे मौसम बरसात हो रही,
दिन मे जैसे रात हो रही।
जब होनी हो जमकर बारीस,
तब सूखे की, बात हो रही।।

पीपल बरगद सब बड़े कट गये,
घर आँगन मे,गमले सज गये।
लालच मे सब बिक गयी लकड़ी,
मौसम सारे बस, धरे रह गये।।

हम जो बोये ,बस वही मिल रहा,
महक खत्म ,बस फूल मिल रहा।
भरी जवानी,अब लग रहा बुढापा ,
जैसे बस जीवन के,दिन गिन रहा।।

प्रकृति हमारी माँ सी है रक्षक ,
पर हम खुद बन बैठै है भच्छक।
जंगल सारे हम सब काट रहे है,
फिर कैसे होगा जीवन रक्षक।।

हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से