भजन/भावगीत

गणेश जी की महिमा

ऐ विघ्नहर्ता ऐ मंगलकर्ता तू ही दुखहर्ता तू ही सुखकर्ता,
एकदंत गजबदन को
मेरा बारंबार प्रणाम ।

चारों ओर मची है धूम गणेश उत्सव की,
जीवन में छाई नई आशा उल्लास और उमंग की ।

बच्चे बूढ़े युवक युवती
सभी मिलकर चले आते हैं,
हर गली और हर घर में एक दृश्य अद्भूत बनाते हैं।

त्रिनेत्र की आंखों के तारे गौरा माँ के राजदुलारे,
मोदक का तुम भोग लगाते हो ।

गणेशोत्सव में सबको आते जाते,
मनमोहक रूप दिखाते हो ।

विघ्न को दूर करना काम है तुम्हारा,
प्रथम देवो में पूज्य नाम है तुम्हारा ।

जो भी दर पर आता है अन्न धन देते है गणेशा,
खुशियों की बारिश जोर-जोर से करते हैं हमेशा ।

हे! गौरीनंदन गणेश सुन लो मेरी एक पुकार,
है आस यही तुमसे अबकी बार मेरी नैया को लगा दो पार ।

शालू मिश्रा

शालू मिश्रा नोहर

पुत्री श्री विद्याधर मिश्रा लेखिका/अध्यापिका रा.बा.उ.प्रा.वि. गाँव- सराणा, आहोर (जिला-जालोर) मोबाइल- 9024370954 ईमेल - shalumishra6037@gmail.com