कविता

बदलते मौसम की क्या बात करे

 

बदलते मौसमों की क्या बात करें ।।

आज वो बात कर रहे है हमसे,
बदलते हुए मौसम की देखो ,
जो खुद मौसम से पहले बदल गए ।।

मौसम बदलते है अपने समय पर,
वो तो इतनी जल्दी बदल गए जैसे,
एक सांस से दूसरी सांस आती है ।।

मौसम तो बदलने पर फिर आएगा ,
कुछ दिन का बदलाव है उसका,
तुम ऐसे बदले जो न आओगे दुबारा।।

तुम बदल कर चले गए यहाँ से,
पीछे मुड़ मुड़ कर भी नही देखा,
जैसे हमारा कोई नाता न था कभी।।

बिन बरखा के मौसम के तुम,
इन नयनों में आँसू दे गए,
जो सावन की तरह बरस रहे है।।

मैं न बदली अभी तक भी देखो ,
मौसम कितने आए गए ,
तुमको देख बरबस नज़र उठती है ।।

तुम तो ऐसे बदले जैसे,
मौसम भी नही बदलता है ,
कहने को तो कई मौसम बदल गए ।।

सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।