कविता

ट्रंप के झूठ पर…

यद्यपि कई बीमारियों का घर हैं मेरे दोस्त का शरीर
जाँच में आज सामने आया कि वो झूठ भी बोलता है
आदमी की ताक़त शायद इतनी खतरनाक नहीं होती
जितनी खतरनाक होती उसकी झूठ बोलने की आदत
बच के रहना झूठ से और झूठे व्यक्ति से
उसका पल भर का भी साथ गजब ढ़ाता है ।
तन के गोरे मन के काले कुछ लोग हुआ करते हैं
जैसे शिकारी के जाल में अंदर पड़े अनाज के दाने ।

— व्यग्र पाण्डे, गंगापुर सिटी (राज.)

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र'

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र' कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी,स.मा. (राज.)322201