कविता

लेखनी

लेखनी के चरणों में शीश मैं झुकाता हूं,
लेखन की महिमा को आज मैं बताता हूं।
लेखनी ही देवी और लेखनी ही माता है,
लेकिन ही ब्रह्म और लेखनी विधाताहै।
लेखनी की नैया और लेखनी ही मैया है,
लेखनी ही नाव और लिखनी खिवैया है।
लेखनी ही शत्य और असत्य की पहचान है,
लेखनी की गीता और बाइबिल कुरान है।
लेखनी ही धन और लेखनी धनवान है,
यह सच है कि बस मेरी लेखनी पहचान है।

मोहित शुक्ल

B.Sc. NDUAT Kumarganj ayodhya ग्राम -बरौला लखीमपुर खीरी