कहानी

कहानी – मुकम्मल जिन्दगी

चलते-चलते वे रुके और अपनी पत्नी को ऊपर चढ़ने का इशारा किया। पत्नी ने पूछा – अच्छा तो हम पहुँच गए? ये लवर्स पॉइंट है या सुसाइड पॉइंट? साथ ही वह महिला छोटे छोटे सीढ़ीनुमा पत्थरो पर पैर रख, सम्भल-सम्भलकर ऊपर चढ़ने लगी।
अपनी जेब से मोबाईल निकालते हुए पुरूष ने जबाब दिया — अरे यार ! होंगे कभी किसी जमाने में, कोई प्रेमी। यहाँ आकर मिलते होंगे तो लोगो ने लवर्स पॉइंट नाम रख दिया और जब जमाने ने एक ना होने दिया होगा तो यहीं से कूदकर अपनी जान दे दी होगी। इसीलिए इसी जगह को सुसाइड पॉइंट भी कहने लगे होंगे
ओह हो ! दुखद। इतना कहते हुए महिला ने लोहे की एंगल पकड़कर दूसरी तरफ नीचे झाँककर देखा। उनकी आँखें आश्चर्य से फैल गई और मुँह से निकला — ओह , बाप रे !
क्या हुआ ? पुरुष ने पूछा।
ऊपर आकर देखोगे तभी तो समझ आएगा महिला थोड़ा झुंझलाकर बोली।
पुरुष ने हाथ से पोज बनाने का इशारा किया और बोले थोड़ा उधर खड़े हो जाओ। अभी तुम्हारी फ़ोटो खींच लूँ फिर आऊँगा और वे मोबाईल से फ़ोटो खींचने लगे।
महिला पोज बनाते हुए बोली — यहाँ पीछे बहुत गहरी खाई है। कोई गिर जाए तो हड्डियां भी ना मिलें।
आता हूँ बाबा आता हूँ। बस दो फ़ोटो और। जरा थोड़े उधर को होकर खड़े होओ ना । महिला बच्ची की तरह खुश होकर फिर से तरह तरह के पोज में फ़ोटो खिंचवाने लगी।
जिस जगह वह महिला खड़ी थी उसके पास ही तीन लड़कियाँ और तीन लड़के, जिनकी उम्र कोई अठारह से बीस वर्ष के करीब थी। वे सब एक बड़े से पत्थर पर कभी बैठकर कभी लेटकर एक दूसरे की फ़ोटो खींच रहे थे।
दूसरे लोग इंतज़ार में थे कि ये हटें तो उन्हें भी उस पत्थर पर बैठकर फ़ोटो खिंचवाने का अवसर मिले, यही तो वो पत्थर है जिससे कूदकर प्रेमी जोड़े ने अपनी इहिलीला समाप्त कर ली थी।
थोड़ी देर में वे पुरुष भी उस बड़े से पत्थर के पास ऊपर ही अपनी पत्नी के पास जाकर खड़े हो गए। उन किशोरवय बच्चों की बातें और हरकतें देखकर कुछ अजीब सी बेचैनी सबके मन में घुल रही थी। फिर ये भी तो नहीं कि जल्दी से फ़ोटो खींचकर वे जाएं तो दूसरे लोगों का भी नम्बर आये।
बोर होकर उन पुरुष ने फिर से मोबाइल निकाला और प्रकृति के सुन्दर नजारों को मोबाईल में कैद करना शुरू कर दिया।
उन छह में से चार लोग वहाँ से उतरकर आगे चल दिये लेकिन एक लड़का-लड़की अभी भी नहीं हट रहे थे। वह लड़की अभी और फ़ोटो खिंचवाना चाहती थी लेकिन लड़के को साथियों के साथ जाने की याद आई। लड़की ने मुँह फुला लिया। लड़के ने उसके कुछ और फ़ोटो निकाले फिर चुपके से लड़की के कान में कुछ फुसफुसाया लड़की भी फुर्ती से उठी और वे तेजी से अपने साथियों की तरफ चले गये।
वो पत्थर खाली हुआ तो उन पुरुष ने महिला को इशारा किया कि अब तुम चलो। महिला ने अभी दूसरा ही कदम बढ़ाया था उन्होंने देखा कि एक लड़के के कदम भी उस पत्थर की तरफ ही बढ़ रहे थे। वह ठिठक गई। तभी उस लड़के ने भी उन्हें बढ़ते देखा था। वह लड़का और पुरुष दोनों ने ही महिला को उस पत्थर पर जाने का इशारा किया।
उस पत्थर के पास जाकर महिला ने पुरुष की तरफ देखा और खुशी से चहककर पुरूष को बुलाने लगी– आ जाओ ना आप भी।
पुरुष ने कहा– अभी आता हूँ , पहले तुम्हारे कुछ फोटो निकाल लूँ। महिला पोज बनाती रही और पुरुष फ़ोटो खींचता रहा। अब पुरुष ने दाएँ- बाएँ देखा और छोटे छोटे पत्थरो पर पैर रखते हुए बड़े पत्थर पर चढ़ने लगे।
अचानक से एक छोटे पत्थर पर पुरुष का बैलेंस बिगड़ा और वो लड़खड़ाकर गिरने को हुए। उनकी पत्नी घबराकर पत्थर से उतरने लगी। पास में खड़ा लड़का उन्हें पकड़ने के लिये लपका। अपने को गिरने से बचाते हुए उन्होंने पत्नी से कहा– तुम वहीं बैठी रहो, मैं आ रहा हूँ। सम्भलते-सम्भलते फिर एक बार उनका बैलेंस बिगड़ा। इस बार पास में खड़े लड़के ने उनका हाथ पकड़कर उन्हें सहारा देना चाहा । लेकिन वो बिना सहारा लिए ही खड़े हो गए। उन्होंने अपने एक हाथ मे मोबाईल पकड़ा हुआ था।
लड़के को मोबाइल पकड़ाते हुए बोले– बेटे, मैं उधर बैठता हूँ, तुम्हारी आँटी के पास। तुम जरा इससे हमारी दो चार फ़ोटो निकाल दोगे?
लड़के ने अपने साथी से कहा — जरा तू इनकी फ़ोटो खींच दे। दूसरे लड़के ने उनका मोबाईल पकड़ लिया और वे उस बड़े से पत्थर की तरफ बढ़ गये। उनकी पत्नी पत्थर के बीच से थोड़ा साइड होकर बैठी और अपने बराबर उनके बैठने की जगह बनाते हुए पत्थर को हाथ से साफ़ करने लगी।
लड़का उनके मोबाईल में फ़ोटो निकालने लगा तो पहले लड़के ने उनसे पूछा– अंकल, एक फोटो मैं भी अपने मोबाईल में ? वे कुछ नहीं बोले बस आँख घुमाकर उसकी तरफ देखा और मुस्कुरा दिए।
फ़ोटो खिंचवाने के बाद वे दोनो पत्थर से उतरने लगे तो उस युवक ने अपनी पत्नी की तरफ देखा और बोला — समझ आया कुछ? उसकी पत्नी बस मुस्कुराकर रह गई।
लड़का बोला– जानू, अभी थोड़ी देर पहले जो तीन जोड़े दिख रहे थे ना, वे अभी इश्क़ की शुरुआत है और ये है एक मुकम्मल जिन्दगी। मुझे भी ऐसी ही मुकम्मल जिन्दगी चाहिए।
हाँ, हाँ, तुम्हे चाहिए तो पता नहीं क्या क्या लेकिन ये बताओ कि तुम मुझे दोगे क्या?
लड़के ने मुस्कुराकर कहा – इन अंकल की तरह मैं तुम्हें दुँगा प्यार और परवाह। जानती हो बदले में तुमसे मुझे क्या चाहिए?
लड़के की तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए लड़की मुस्कुराई तो लड़के ने कहा– इन आँटी की तरह पल पल बदलते तुम्हारे प्यारे प्यारे रंग।

— नीता सैनी, दिल्ली

नीता सैनी

जन्म -- 22 oct 1970 शिक्षा -- स्नातक लेखन -- कविता , लघुकथा प्रकाशन -- पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित संपर्क -- घर का पता 117 , मस्जिद मोठ , नई दिल्ली - 110049 पत्र व्यवहार के लिए ऑफिस का पता -- नीता सैनी - न्यू जगदम्बा टेंट हाउस L - 505 / 4 -- शनि बाजार संगम विहार , नई दिल्ली - 80