कविता

शब्द की महिमा

शब्द की महिमा
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शब्द वहीं है
पर उस पर सबकी
व्याख्या अलग अलग
कोई पढ़ सुनकर लिखता
कोई अपनी अनुभूति से लिखता
पर शब्द वहीं है
कोई उसे दाए से लिखता
कोई उसे बाएं से लिखता
कोई हिंदी में लिखता
कोई इंग्लिश में लिखता
शब्द वहीं है
पर व्याख्या सबकी
अलग अलग
कोई उसमें राम को देखें
कोई देखे अल्लाह
किसी को दिखता जीजस उसमें
कोई देखें गुरु ग्रंथ साहिब
जिसने उसको जैसा समझा
वैसा उसने किया बखान
शब्द वहीं है
पर व्याख्या सबकी अलग अलग

ब्रजेश

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020