इतिहासलेख

राज्यसभा नहीं होते, तो डॉ. आंबेडकर ‘विधि मंत्री’ भी बन नहीं पाते !

अगर राज्यसभा नहीं होते, तो डॉ. आंबेडकर ‘विधि मंत्री’ भी बन नहीं पाते ! इसे सहित डॉ. आंबेडकर के बारे में कुछ अन्य बातें कई सालों से मन मेें साल रहा है, यथा-

1. डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर का जन्म ‘महाराष्ट्र’ में नहीं हुआ था!

2. क्या वे माता-पिता के 14वीं संतान थे?

3. ‘कर’ उपनाम महाराष्ट्र में ब्राह्मणों के हैं, यथा:- मंगेशकर, मातोंडकर, अगरकर, आचरेकर, आंबेडकर इत्यादि।

4. अगर वे ‘महार’ जाति से संबंधित थे, तो क्या उत्तर भारत में इसे ‘मेहतर’ कहा जाता है?

5. ‘मराठाराष्ट्र’ से तात्पर्य ‘महाराष्ट्र’ है या महाराष्ट्र है ‘महारराष्ट्र’ के विन्यसत: !

6. तारीख 14 अप्रैल को डॉ0 भीमराव रामजी आंबेडकर के जन्मदिवस की अंग्रेजी तारीख है, जबकि तब भारतीय समाज में विक्रमी संवत का प्रचलन था।

7. उस समय इंग्लैंड और यूएसए में शिक्षा धनी वर्ग प्राप्त करते थे, भीमराव धनी थे या निर्धन!

8. उनके पिता सूबेदार थे, क्या उनकी हैसियत आर्थिक कद्दावर की थी? सूबेदार पद बड़ौदा महाराज के सेना में से थे या ब्रिटिश भारत में से?

9. क्या भीमराव ‘बड़ौदा महाराज’ से छात्रवृत्ति प्राप्त कर इंग्लैंड व यूएसए  पढ़ने गए थे? तो बड़ौदा महाराज का इनसे कोई लाभ लेने या किसी तरह के मकसद भी छिपा था?

10. भीमराव के पिताजी का पूरा नाम है– रामजी मालोजी सकपाल । तो क्या इस उपनाम लिए उनका पूर्वज उत्तर भारत से थे! क्योंकि सकपाल में ‘पाल’, फिर ‘महार’ को लेकर ‘कुम्हार’ तथ्यतः उभरते हैं !

11. अर्थशास्त्री डॉ. आंबेडकर ने क्या ‘विधि’ की शिक्षा भी प्राप्त की थी?

12. भारतीय स्वतंत्रता कालावधि में ‘स्वतंत्रता सेनानी’ के तौर पर उन्हें वामपंथी इतिहासकारों ने क्यों नहीं याद किया है? उन्हें सिर्फ अनुसूचित जाति के नेता के तौर पर याद किया है!

13. डॉ. आंबेडकर तो ब्राह्मण प्रधानमंत्री पं. ज.ला. नेहरू के अंतर्गत ही विधि मंत्री थे! इनसे परेशान होना चाहिए था!

14. क्या उनके जीवनकाल में अनुसूचित जाति के ही वरेण्य नेता बाबू जगजीवन राम ने उन्हें आगे बढ़ने नहीं दिया?

15. ‘संविधान सभा’ के सर्वेसर्वा पद अध्यक्ष द्वय डॉ. सच्चिदानंद सिंहा, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ‘बिहार’ से थे, संविधान सभा द्वारा ‘भारतीय संविधान’ के निर्माण हेतु ‘प्रारूप समिति’ गठित किया गया, जिनका अध्यक्ष डॉ. आंबेडकर को बनाया गया । जबकि सचिव डॉ. बी. एन. राव ‘दक्षिण भारत’ से थे । कई महत्त्वपूर्ण देशों के संविधानों के अध्ययन के लिए डॉ. राव ने यात्रा किया था । फिर तो प्रारूप समिति में कई सदस्य थे । संविधान का प्रारूप निर्माण में सामूहिक प्रयास हुए थे, तो संविधान निर्माता व भारतीय संविधान के पिता व जनक जैसे उपनाम कहलाने का वैज्ञानिक आधार क्या है? क्योंकि सूचना का अधिकार अधिनियम अंतर्गत भारत सरकार ने भी ‘भारतीय संविधान के पिता कौन’ की सूचना नहीं दिया!

16. संवैधानिक आरक्षण का आधार आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक आदि रूप से शोषित व वंचित समाज के वर्ग को आधार बनाया गया था, जिनमें अनुसूचित जाति व जनजातियाँ समादृत थी, तो पिछड़ा वर्ग भी? आज जो ओबीसी है, वो संभवतः डॉ. राम मनोहर लोहिया, श्री वी. पी. मंडल, श्री कर्पूरी ठाकुर समेत पूर्व प्रधानमंत्री श्री वी. पी. सिंह के कारण तो नहीं! क्या आरक्षित वर्ग में ‘क्रीमी लेयर’ संविधानशोधित है? जहाँ अब तो सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण मिल चुका है, जिनमें 8 लाख वार्षिक आयवाले और 5 एकड़ जमीनवाले गरीब नहीं हैं!

17. ‘मनु संहिता’ अवतारवाद और भगवान को जन्म दिया है । ‘मनु संहिता’ असामाजिक था और डॉ. आंबेडकर इस पुस्तक के सबसे बड़े आलोचक थे, बावजूद डॉ. आंबेडकर को भगवान की तरह पूजा जाना गलत तो नहीं!

18. क्या वे अंतिम समय में बौद्ध धर्मावलम्बी थे? हिन्दू समाज से वे प्रताड़ित थे या उनकी विसंगतियाँ से!

19. क्या डॉ. आंबेडकर ने काफी उम्र में दूसरी शादी किये थे, वह भी ब्राह्मणी के साथ!

20. श्रीमती इंदिरा गांधी तो अपने कार्यकाल में ही ‘भारत रत्न’ से विभूषित हो गई थी, अगर डॉ. आंबेडकर को उनके जीवनकाल में ही काँग्रेसनीत भारत सरकार पहचाने होते, तो उन्हें तब ही ‘भारत रत्न’ से विभूषित कर दिया जाता! उनके जीवनकाल में अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के लोग भी उन्हें औसत समझते थे? तभी तो उनके निधन के 35वें साल ही उन्हें भारत सरकार ने ‘भारत रत्न’ सम्मान प्रदान किया, तब केंद्र में शायद प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह की सरकार थी और यह सरकार बीजेपी के समर्थन पर टिकी थी! ‘भारत रत्न’ मिलने के बाद ही ‘डॉ. आंबेडकर के साहित्य और दर्शन’ का जोर-शोर से प्रचार-प्रसार हुआ। तब अनुसूचित जाति के बड़े नेता मान्यवर कांशीराम भी बीजेपी से टच में थे?

21. ऐसा कहा जाता है, भारतीय संविधान हेतु बहस के दौरान डॉ. आंबेडकर ने  ‘राज्यसभा’ के अस्तित्व को ‘बैकडोर’ से अपराधी-मनोवृत्तियों के आना बताते हुए इसके अवधारणा को नकारा था! सोचिए, अगर संविधान में राज्यसभा का अस्तित्व नहीं होता, तो डॉ. आंबेडकर केंद्रीय मंत्री (विधि मंत्री) भी नहीं बन पाते, क्योंकि उनके ही प्रारूपीय ‘लोकसभा’ चुनाव वे दो-दो बार हार गए थे और मंत्री बना रहने के लिए 6 माह के अंदर सांसद बनना अनिवार्य है!

–‘इत्यादि’ लिए और भी कई सारे सवालात मन में उमड़-घुमड़ रहे हैं। किंतु डॉ. आंबेडकर अगर ‘संविधान’ के पर्याय हैं, तो मेरा अस्तित्व है !
बहुमुखी प्रतिभा के धनी और समतामूलक समाज के प्रणेता थे भारतरत्न डॉ. आंबेडकर।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.